दिल्ली। रुपये का दम फूल रहा है। डॉलर के मुकाबले घरेलू मुद्रा की कीमत 70 के पार पहुंच गई है। अब 70 का स्तर भी दूर नहीं है। ये वहीं रुपया है जो कभी एक डॉलर के बराबर हुआ करता था। लेकिन मंगलवार को पहली बार 70 के पार पहुंचा।
पहली बार 70 के पार पहुंचा
दरअसल, मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 11 पैसे की तेजी के साथ 69.85 पर खुला। लेकिन थोड़ी देरी बाद ही यह 70 के पार चला गया। यह 70.08 के स्तर पर था। सोमवार को 69.93 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर लुढ़क गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पिछले एक साल डॉलर के मुकाबले रुपया करीब 7 फीसदी टूटा है।
72वें वर्षगांठ पर 70 के बराबर
दरअसल, भारत जब आजाद हुआ था तब एक डॉलर बराबर 1 रुपया हुआ करता था लेकिन आजादी के बाद भारत में कई योजना शुरू की गई थी। जिनके लिए विदेशों से भारत को कर्ज लेना पड़ा था। भारत पर कर्ज का दबाब बढ़ता जा रहा था जिसे कम करने के लिए भारत को रुपये की कीमत घटानी पड़ी थी। जब से भारत के रुपये की कीमत गिराई गई थी तब से डॉलर के मुकाबले लगातार रुपये की कीमत गिरती जा रही है।
ट्रेड वॉर की आशंका से टूटा
रुपये के कमजोर होने के संकेत तो साल 2018 की शुरुआत से ही मिलने लगे थे। करेंसी कई कारकों से दबाव में थी लेकिन हाल ही में कच्चे तेल के दामों में बढोतरी ने रुपये का हाल बेहाल कर दिया है। रुपये में जो कमजोरी दिख रही है, उसकी दो प्रमुख वजह हैं। पहला कच्चा तेल का दाम और दूसरा अमेरिका का अन्य देशों के साथ ट्रेड वॉर की आशंका। इससे सरकार का चालू खाते का घाटा बढ़ने की उम्मीद है। इसके साथ ही तेल के दाम आगे चलकर बढ़ सकते हैं, जिससे पेट्रोल-डीजल सहित हवाई ईंधन के दाम में भी इजाफा हो सकता है।
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वहीं, एक अनुमान के मुताबिक डॉलर के भाव में एक रुपये की वृद्धि से तेल कंपनियों पर 8,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ता है। पेट्रोलियम उत्पाद की कीमतों में 10 फीसदी वृद्धि से महंगाई करीब 0.8 फीसदी बढ़ जाती है। इसका सीधा असर-खाने पीने और परिवहन की लागत पर पड़ता है।