दिल्ली। बीजेपी अभी देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है। वित्तीय वर्ष 2016-17 में 1034 करोड़ रुपये की कुल आमदनी के साथ कमाई के मामले में भारतीय जनता पार्टी नंबर एक पार्टी बन गई है। भाजपा ने चुनाव आयोग में अपने सलाना रिटर्न्स में भी इसका खुलासा किया है।
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आमदनी में 81 फीसदी की उछाल
2016-17 में बीजेपी पर खूब धन की बारिश हुई। पार्टी की आमदनी में 81 फीसदी की उछाल दर्ज की गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लेकिन एक जो सबसे चौंकाने वाली बात है, वो यह है कि जिसके कंधे पर पार्टी के लिए फंड इकट्ठा करने और सभी तरह के आय-व्यय का लेखा-जोखा रखने की जिम्मेदारी है उसके नाम का कोई अता-पता नहीं है।
पार्टी ने अपने कोषाध्यक्ष के बारे में न तो अपनी वेबसाइट पर किसी नाम का उल्लेख किया है और न ही चुनाव आयोग को सौंपे गए ऑडिट रिपोर्ट में कोषाध्यक्ष का नाम लिखा है।
मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक साल 2016-17 के ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक कोषाध्यक्ष के स्थान पर फॉर लिखकर किसी का हस्ताक्षर किया हुआ है जो स्पष्ट नहीं है। हालांकि, ऑडिट रिपोर्ट पर दो अन्य हस्ताक्षरी चार्टर्ड अकाउंटेंट वेणी थापर और पार्टी के महासचिव रामलाल के दस्तखत हैं।
पहले पीयूष गोयल थे कोषाध्यक्ष
न्यूज वेबसाइट्स ‘द वायर’ ने इसे लेकर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी से बात की। उन्होंने बताया कि बीजेपी द्वारा चुनाव आयोग को सौंपा गया डिक्लरेशन गलत है। आयोग को चाहिए कि वो डिक्लरेशन स्वीकार करने की बजाय पार्टी को नोटिस जारी कर उससे कोषाध्यक्ष के बारे में पूछे।
वहीं, एक पूर्व सीईसी ने भी यह कहा कि चुनाव आयोग द्वारा साल 2014 में जारी राजनीतिक दलों के वित्तीय पारदर्शिता के दिशा-निर्देश के मुताबिक सभी पार्टी को अपने कोषाध्यक्ष या उस हैसियत के शख्स की जानकारी देना अनिवार्य है। उन्होंने भी कहा कि आयोग को इस बाबत संज्ञान लेना चाहिए और पार्टी विशेष से पूछना चाहिए कि क्यों कोषाध्यक्ष या उसकी हैसियत वाले पदाधिकारी का डिटेल उपलब्ध नहीं कराया गया है।
गौरतलब है कि 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने से पहले पीयूष गोयल बीजेपी के घोषित कोषाध्यक्ष थे। मई 2014 में गोयल केंद्रीय मंत्री बन गए थे। इसके बाद जब अगस्त 2014 में अमित शाह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने तब उन्होंने पार्टी कार्यकारिणी का नए सिरे से गठन किया था। इस नवगठित टीम में कोषाध्यक्ष का पद खाली रखा गया था।
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