/मनमोहन सिंह के दौर से सस्ती है कच्चे तेल की कीमत, फिर भी ‘लूट’ रही मोदी सरकार!

मनमोहन सिंह के दौर से सस्ती है कच्चे तेल की कीमत, फिर भी ‘लूट’ रही मोदी सरकार!

मनमोहन सिंह के दौर से सस्ता है कच्चे तेल की कीमत

दिल्ली। पेट्रोल और डीजल की कीमतें अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंचने के बाद अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है, क्या अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में इतना बड़ा इजाफा हो गया है कि बढ़ती कीमतों को रोकना मौजूदा सरकार के बस की बात नहीं है।

आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?

इन चीजों को समझने के लिए मनमोहन सिंह के दौर में चलना होगा, यानी कि 2014 की परिस्थितियों को देखना होगा। उस वक्त पेट्रोल, डीजल के दाम और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों का तुलनात्मक जायजा लेने के बाद में पता चलेगा कि पेट्रोल और डीजल की बढ़ी कीमतों का पेंच कहां फंसा है।

आपको बता दें कि दिल्ली में पेट्रोल 76.50 रुपये से ज्यादा की कीमत पर बिक रही है। इससे पहले सितंबर 2013 में पेट्रोल की कीमत 76.06 रुपये प्रति लीटर बिका था, जो अब तक का सबसे ऊंचा स्तर था।

वहीं, मुंबई में पेट्रोल 80 रुपये लीटर के पार कर गई है। वहीं, जब मई 2014 में नरेंद्र मोदी ने जब सत्ता संभाली थी तब देश में पेट्रोल प्रति लीटर 71.41 रुपये बिक रहा था।

इसी तरह मई, 2014 में डीजल 55.49 रुपये प्रति लीटर बिक रहा था। तब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 106.85 डॉलर प्रति बैरल थी।

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डीजल महंगाई में दिल्ली का नया रिकॉर्ड

अभी दिल्ली में 67.57 रुपये प्रति लीटर डीजल बिक रहा है। इतना महंगा डीजल इतिहास में पहली बार हुआ है। जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल है।

यानि 2014 के मुकाबले कच्चे तेल की कीमत 25 फीसदी है। मनमोहन सरकार के समय में यह कीमत 106.85 प्रति डॉलर बैरल थी। तब मनमोहन सरकार 71.41 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल और 55.49 रुपये प्रति लीटर डीजल बेचा।

इस हिसाब से अगर मोदी सरकार में मनमोहन सरकार से इतना ही महंगा पेट्रोल बेचती तो 53.47 रुपये प्रति लीटर बिकता। यानि ग्राहक को 22.77 रुपये सस्ता पेट्रोल मिलता।

इसी फार्मूले को डीजर पर लागू कर दें तो आज 41.54 प्रति लीटर डीजल बिकना चाहिए यानि 26 रुपये सस्ता मिलता।

पेट्रोलियम पर करीब 50% टैक्स

गौरतलब है कि पेट्रोल की खुदरा कीमतों में पचास फीसदी से ज्यादा हिस्सा अलग-अलग टैक्सों और डीलरों के कमीशनों का होता है। डीजल में इसकी हिस्सेदारी 40 फीसदी से ज्यादा होती है।

चूंकि अलग-अलग राज्य अलग-अलग दर से टैक्स वसूलते हैं, इसलिए हर राज्य में पेट्रोल डीजल की कीमतों में अंतर होता है।

वहीं, पेट्रोल मुंबई में सबसे महंगा है जबकि हैदराबाद में डीजल सबसे महंगा है। मजेदार बात यह है कि कई शहरों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बहुत कम अंतर है।