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महागठबंधन के लिए खुद को छोटा करेगी कांग्रेस, खुद 250 सीटों पर ही लड़ सकती है चुनाव

महागठबंधन के लिए खुद को छोटा करेगी कांग्रेस, खुद 250 सीटों पर ही लड़ सकती है

दिल्ली। 2019 में सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस हर समझौता को तैयार है। आजादी के बाद पहली बार कांग्रेस सबसे कम सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस की बाकी की सीटें अपने साथियों के लिए छोड़ सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कांग्रेस ने महागठबंधन के लिए ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया है। अब बस स्थानीय स्तर की रिपोर्ट्स आने के बाद इस अंतिम मुहर लग जाएगी।

महज 244 सीटों पर चुनाव लड़ेगी कांग्रेस?

दरअसल, कांग्रेस की रणनीति के मुताबिक वह पिछले लोकसभा में जीती 44 सीटें किसी को नहीं देगी। बाकी सीटों को वह गठबंधन में रखेगी, लेकिन उन 224 सीटों पर चुनाव लड़ने का जोर लगाएगी, जहां वह दूसरे नंबर पर रही थी। इनमें मध्यप्रदेश, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्य शामिल हैं। यहां भाजपा के खिलाफ वही अकेली बड़ी पार्टी है। अगर गठबंधन में कहीं दिक्कत आती है, तो क्षेत्रीय दलों को विधानसभा में ज्यादा सीटें देकर लोकसभा 2019 के लिए समझौते को अंजाम दिया जा सकता है।

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21 क्षेत्रीय दलों से गठबंधन की तैयारी!

खबरों के मुताबिक कांग्रेस के इस प्लान पर इसी महीने कांग्रेस राज्यवार कमेटियां बनाने जा रही है। ये कमेटियां क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन को लेकर मोल-भाव करेंगी। 11 राज्य ऐसे हैं, जहां कांग्रेस छोटे-बड़े 21 क्षेत्रीय दलों से गठबंधन को तैयार है।

एक अखबार से बात करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस में गठबंधन का निर्णय करने के लिए एके एंटनी कमेटी है। राज्य की परिस्थिति के आधार पर मजबूत विकल्प कैसे बनें, इसके लिए निर्णय लिया जाएगा। कांग्रेस अपने हितों की कुर्बानी नहीं देगी, लेकिन विपक्षी एकता के लिए हाथ से हाथ मिलाकर लड़ने को तैयार है।

जहां जो प्रभावी उसे प्राथमिकता

वहीं, कांग्रेस क्षेत्रीय दलों से तालमेल कैसे बैठाएगी। इस कांग्रेस के एक नेता कहते हैं कि जहां क्षेत्रीय दल प्रभावी हैं और राज्य में प्रमुख हैं, वहां उन्हें स्वाभाविक तौर से प्राथमिकता दी जाएगी।

आइए अब एक नजर डाल लेते हैं, राज्यों के गणित पर। उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं। अगर महागठबंधन बनती है इनका वोट शेयर एनडीए से ज्यादा होगा। पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 42 सीटें हैं, यहां भी अभी एनडीए की तुलना में अगर गठबंधन होता है तो वोट शेयर उनका ज्यादा होगा। कर्नाटक में भी एनडीए से ज्यादा महागठबंधन के वोट प्रतिशत हैं। आंध्र-तेलंगाना में भी एनडीए की तुलना में महागठबंधन के ही वोट प्रतिशत ज्यादा होंगे।

वहीं, अगर असम में महागठबंधन बनता है तो एनडीए की तुलना में उनका वोट ज्यादा होगा। बिहार में महागठबंधन अगर बनता है तो एनडीए का वोट प्रतिशत ज्यादा होगा। अब नीतीश एनडीए के साथ हैं। वहीं, झारखंड में भी महागठबंधन की तुलना में एनडीए आगे है। महाराष्ट्र में भी महागठबंधन से एनडीए आगे हैं। तमिलनाडु में भी वोट प्रतिशत के मामले में एनडीए आगे है। जम्मू-कश्मीर भी एनडीए आगे है। ओडिशा की स्थिति साफ नहीं है। गौरतलब है कि राज्यों में गठबंधनों के वोट प्रतिशत 2014 के चुनाव के आंकड़ों के आधार पर है।