जिसने तोड़ा मोदी-शाह का अजेय ‘सत्ता तिलिस्म’, जिसकी रणनीति के आगे फेल हो गई ‘शाहनीति’

2
222

नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर भारी पड़े डीके शिवकुमार, राहुल को दिलाई जीत

दिल्ली। कर्नाटक की लड़ाई में कांग्रेस को जीत मिली. भले ही मुख्यमंत्री की कुर्सी उससे छिटक गई. मगर मोदी और शाह की ‘रणनीति’ फेल हो गई. राहुल के रणबांकुरे ‘शाहनीति’ पर भारी पड़े. इन सबके बीच कांग्रेस को एक अच्छा पॉलिटिकल मैनेजर जरूर मिल गया. उनका नाम है- डोडडालहल्ली केपेगौड़ा शिवकुमार जिन्हें आप डीके शिवकुमार के नाम से जानते हैं.

‘शाहनीति’ पर भारी पड़े शिवकुमार

शिवकुमार ही वो शख्स हैं जिन्होंने बीजेपी की रणनीति को मात दी. कांग्रेस के विधायक टस से मस नहीं हुए. कांग्रेस की प्रो-एक्टिव रणनीति काम कर गई.

मगर शिवकुमार अगर राहुल की टीम में न होते तो शायद ये नहीं होता. गुजरात चुनाव के दौरान भी कांग्रेसी विधायकों को शिवकुमार ने ही पनाह दी थी.

उनके निगहबान ही कर्नाटक में कांग्रेस अपना किला बचाने में कामयाब रही. दरअसल ये पूरा वाकया कांग्रेस के लिए मनोवैज्ञानिक जीत है. ये दिखाता है कि अगर कांग्रेस नेक-टू-नेक फाइट करे तो सामनेवाले की रणनीति फेल की जा सकती है.

कांग्रेस ने इस बार कुछ ऐसा किया. गुजरात में राज्यसभा चुनाव के दौरान भी कांग्रेस ने नेक-टू-नेक फाइट किया था, तभी अहमद पटेल राज्यसभा पहुंच पाए थे. इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ.

आखिरकार कर्नाटक में येदियुरप्पा की ढाई दिन की सरकार फ्लोर टेस्ट में फेल हो गई. महज 7 विधायकों का जुगाड़ नहीं कर पाए.

‘बाजीगर’ से  किला कांग्रेस ने कैसे बचाई

डीके शिवकुमार के अनुभव का कांग्रेस बाकी राज्यों में फायदा ले सकती है. जहां दो ‘बाजीगर’ (मोदी और शाह) हों, उनसे कैसे अपना किला बचाया जा सकता है.

शिवकुमार ने कांग्रेस और जेडीएस विधायकों तक बीजेपी की पहुंचने की रणनीति को फेल कर दिया.

विधायकों को किस होटल में रखना है. किस गाड़ी ले जाना है. किस गाड़ी लाना है. विधायकों कब लाना है. इसकी रणनीति शिवकुमार ने ही तय की थी.

पहले से थी शिवकुमार की तैयारी

शिवकुमार को इसकी भनक थी तभी तो उन्होंने विधायकों को बचाने की तैयारी पहले ही कर रखी थी. विधायकों के साइन कराने से लेकर निगरानी में रखने तक का काम शिवकुमार ने खुद किया.

रिजल्ट आने के साथ ही उन्होंने विधायकों को बेंगलुरु के अपने रिजॉर्ट में रखा. फिर येदियुरप्पा के शपथ लेने के बाद उन्हें शाम को हैदराबाद भेजवाया.

जबकि दिल्ली में बैठे नेताओं ने मामले को सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा दिया. सत्ता की लड़ाई को कानूनी लड़ाई में तब्दील कर दिया. कोर्ट का फैसला कांग्रेस के पक्ष में गया.

फिर शिवकुमार ने विधायकों को अपनी निगरानी में ऐन वक्त पर हैदराबाद से बेंगलुरु भेजवाया. इस दौरान किसी विधायक ने किसी से कोई बातचीत नहीं.

इतना कड़ा पहरा शिवकुमार ने लगा रखा था. इस दरम्यान खाने-पीने और दवा का इंतजाम कर रखा था. ताकि किसी को हेल्थ से जुड़ी समस्या हो तो उससे भी निपटा जा सके.

जिन 2 विधायकों के गायब होने की सूचना मीडिया में थी उनको ऐन वक्त पर ढूंढ निकाला और सदन में दोनों को अपने पास बैठाया.

कौन हैं डीके शिवकुमार

डोडडालहल्ली केपेगौड़ा शिवकुमार कर्नाटक सरकार में ऊर्जा मंत्री रह चुके हैं. कनकपुरा से कांग्रेस के विधायक हैं. होटल और रिजॉर्ट का इनका बिजनेस भी है.

111 नहीं जुटा पाए येदियुरप्पा

कर्नाटक के 221 सीटों में से कांग्रेस को 78, जेडीएस को 36, बीजेपी को 104 और 3 अन्य को जीत मिली है.

जबकि बहुमत के लिए 111 सीटों की जरुरत थी. जुदाई आंकड़े को छूने में बीजेपी फेल हो गई और येदियुरप्पा की सरकार गिर गई.

2 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.