पटना। बिहार में नीतीश कुमार और बीजेपी, सीट शेयरिंग के मामले पर तू डाल-डाल, मैं पात-पात का खेल, खेल रहे हैं. अगर बीजेपी को लगता होगा कि आखिरी वक्त पर जेडीयू को अकेले कर देंगे तो, इस तरह की गलती नीतीश कुमार दोहरानेवाले नहीं हैं. एक-एक कदम पर उनकी पूरी नजर बनी हुई है.
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बीजेपी नेतृत्व को 1 महीने की मोहलत?
नीतीश कुमार को लगता है कि जैसे ही वो याचक के रोल में आएंगे तो, सत्ता भी जा सकती है. फिलहाल बिहार में नीतीश कुमार और बीजेपी दोनों की गाड़ी एक-दूसरे के बिना नहीं चल सकती. दो गठबंधन तोड़ चुके नीतीश कुमार, इस गठबंधन को तोड़ने का इल्जाम अपने सर पर लेना नहीं चाहेंगे. इसलिए उन्होंने गेंद को बीजेपी के पाले में डाल दिया. नीतीश कुमार को उम्मीद है कि बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व अगले एक महीने में उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए सीटों की संख्या के बारे में जानकारी दे देगा. इसके बाद एक-एक सीट पर चर्चा होगी.
सुशील मोदी की मौजूदगी में कही बात
पटना में नीतीश कुमार ने कहा कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात औपचारिक थी. सिर्फ नाश्ता और रात को भोजन साथ हुआ. मुलाकात में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जो शेयर किया जाए. हमलोग साथ में काम कर रहे हैं तो बातचीत होती रहती है. लोकसभा चुनाव में सीटों का प्रस्ताव जल्द आएगा. 3-4 हफ्तों में बीजेपी की तरफ से प्रस्ताव आएगा. उसके बाद सीटों पर बातचीत होगी.
नीतीश कुमार ने अपनी बात मीडिया के जरिए और सुशील मोदी के मौजूदगी में कही. ऐसा माना जा रहा है कि अमित शाह से मुलाकात के दौरान नीतीश कुमार ने उनसे कहा था कि बिहार एनडीए के दूसरे सहयोगियों रामविलास पासवान और उपेंद्र कुशवाहा से बात कर लें. इसके लिए उन्होंने मीडिया के जरिए एक महीने का वक्त दे दिया. यानि 15 अगस्त से पहले सीट शेयरिंग के मसले को सुलझा लिया जाए.
इसे एक महीने की डेडलाइन के तौर देखा जा रहा है. पिछले चुनाव में बीजेपी, रामविलास पासवान और उपेंद्र कुशवाहा ने 32 सीटों पर कब्जा जमाया था. जबकि नीतीश कुमार सिर्फ 2 सीटें जीतने में कामयाब रहे थे. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि नीतीश को कम से कम 15 सीटें मिलने की उम्मीद है. अब इसी को लेकर माथापच्ची हो रही है.
नीतीश को 15 सीटों की उम्मीद!
नीतीश कुमार नहीं चाहते कि बीजेपी को अनलिमिटेड वक्त दे दिया जाए और रोजाना मीडिया में नए सिरे से सीट शेयरिंग को लेकर खबरें आए. जिसकी वजह से माहौल खराब हो जाए. दोनों पार्टियों के नेता एक-दूसरे पर आरोप लगाते रहें. अब 4 हफ्ते में बीजेपी नेतृत्व को रामविलास पासवान और उपेंद्र कुश्वाहा से बात करनी होगी. इसमें ये तय होगा कि नीतीश कुमार के लिए कौन, कितनी सीटों को छोड़ता है. नीतीश को अगर सीटें देनी है तो तीनों पार्टियों को अपनी-अपनी जीती हुई सीटें छोड़नी होगी. जो सीट नहीं छोड़ेगा उसे एनडीए से जाना होगा. नीतीश कुमार को भी लगता है कि मौजूदा माहौल में शायद ही कोई इस तरह का रिस्क ले.
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