दिल्ली। प्रणब मुखर्जी के नागपुर में आरएसएस के मुख्यालय में जाकर भाषण देने को लेकर मची गहमागहमी के बीच सोशल मीडिया पर एक फोटो इन दिनों खूब वायरल हो रही है। इस फोटो के बारे में दावा किया जा रहा है कि ये जवाहरलाल नेहरू की फोटो है, जिसमें वो आरएसएस की शाखा में दिख रहे हैं। फोटो के बारे में सोशल मीडिया पर यह भी दावा किया जा रहा है कि यह बेहद दुर्लभ फोटो है।
सोशल मीडिया पर फोटो हो रहा शेयर
वायरल तस्वीर के नाम पर लोग सोशल मीडिया पर तरह-तरह की कमेंट भी कर रहे हैं। हालांकि सोशल मीडिया पर पहले भी ये तस्वीर कई बार वायरल हो चुकी है, लेकिन प्रणब मुखर्जी की वजह से इसे इस फिर से खूब शेयर किया जा रहा है।
वायरल तस्वीर में देखने से व्यक्ति जवाहरलाल नेहरू ही लगते हैं और वेशभूषा भी आरएसएस की ड्रेस में मिलती-जुलती है। इसके साथ ही अगर आप वायरल तस्वीर को गौर से देखेंगे तो उसमें कुछ लिखा हुआ है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फोटो में मराठी में लिखा हुआ है कि ‘पं जवाहरलाल नेहरू आणि इतर नैते’। जिसका मतलब है कि जवाहरलाल नेहरू बाकी नेताओं के साथ।
नीचे दूसरी लाइन में लिखा है कि ‘1939 साली उत्तर प्रदेशयातील नैनी येथील’। जिसका मतलब ये हुआ कि ये तस्वीर साल 1939 में उत्तर प्रदेश के नैनी की है।
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1939 में इलाहाबद के नैनी का फोटो
यानि ये बात तो वायरल फोटो से तय हो गई कि फोटो इलाहाबाद के पास नैनी की है और बात 1939 की है। फोटो में दिखने वाले व्यक्ति सचमुच जवाहरलाल नेहरू ही हैं।
नेहरू की वायरल तस्वीर में देखा जा सकता है कि वे और दूसरे लोगों ने सफेद टोपी पहन रखी है। आरएसएस की स्थापना 1925 में हुई थी और तब से लेकर अब तक आरएसएस की ड्रेस में लगातार बदलाव होता रहा है।
लेकिन आरएसएस की टोपी का रंग काला ही है और कभी नहीं बदला। इससे ये बात साफ होता है कि नेहरू, आरएसएस की शाखा में नहीं है।
आरएसएस का नहीं कांग्रेस सेवा दल का फोटो
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस वायरल तस्वीर की सच्चाई जानने के लिए कांग्रेस के कई नेताओं से बात की गई। उनलोगों ने बताया कि ये फोटो वाकई नैनी में सेवा दल के एक कार्यक्रम में ली गई थी।
सेवा दल कांग्रेस की एक संस्था है जिसकी स्थापना आरएसएस से एक साल पहले 1924 में अंग्रेजों से लोहा लेने के लिए की गई थी औऱ जवाहर लाल नेहरू इसके पहले अध्यक्ष थे। नेहरू की सेवा दल के इसी ड्रेस में तमाम औऱ फोटो इंटरेट पर मौजूद था।
वहीं, कांग्रेस नेताओं का मानना है कि सेवा दल के कार्यक्रम को दुष्प्रचार करके आरएसएस के साथ जोड़ा जाता है। उस वक्त कपड़ों में ज्यादा रंग नहीं थे इसलिए खाकी ही चलती थी। श्रमदान के वक्त हाफ पैंट ही पहनी जाती थी। उसी वक्त की तस्वीर को कांग्रेस दुष्प्रचार के लिए इस्तेमाल कर रही है।
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