लखनऊ में शूटआउट हुआ है. वीआईपी इलाके गोमती नगर में पुलिसवाले के कहने पर कार से नहीं उतरने पर कॉनस्टेबल ने गोली मार कर हत्या कर दी. विवेक तिवारी मल्टीनेशनल कंपनी एप्पल के एरिया मैनेजर थे. कार में उनके साथ ऑफिस की एक सहयोगी सना खान भी बैठीं थीं, जिन्हें ऑफिस से वो घर छोड़ने जा रहे थे. आई फोन की लॉन्चिंग की वजह से ऑफिस में देर हो गई थी.
लखनऊ में शूटआउट
पीड़ित परिवार की सीबीआई की जांच की मांग पर उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्य नाथ ने कहा कि अगर जरुरत पड़ी सरकार सीबीआई जांच से पीछे नहीं हटेगी. पीड़ित परिजनों की मांग है कि भविष्य सुरक्षित करने के विवेक तिवारी की पत्नी को सरकारी नौकरी दी जाए और एक करोड़ रुपए मुआवजा दिया जाए. लखनऊ में शूटआउट मामले पर डीएम ने 25 लाख रुपए मुआवजा और विवेक की पत्नी को नौकरी देने का एलान किया. साथ ही अगले 30 दिन में जांच पूरी करने का आश्वासन दिया.
चश्मदीद ने क्या देखा?
लखनऊ में शूटआउट केस की एक मात्र चश्मदीद सना खान ने पूरी घटना बयां कीं. उन्होंने बताया कि ”रात में हम घर जा रहे थे. इसी बीच सामने से पुलिसवाले आए और उनकी गाड़ी को जबर्दस्ती रोकने लगे. सर (विवेक तिवारी) ने गाड़ी नहीं रोकी. उन्होंने सोचा कि पता नहीं कौन है जो इतनी रात को गाड़ी रोक रहा है और हम अकेले हैं. इसके पुलिसवालों ने सामने से अपनी बाइक लगा दी और रोकने लगे. इसी बीच दोनों पुलिसवाले बाइक से उतर गए.
‘किसी ने मदद नहीं की’
लखनऊ में शूटआउट की चश्मदीद सना ने कहा कि ”सर (विवेक तिवारी) ने गाड़ी नहीं रोकी और वो साइड से अपनी कार निकालने लगे. इस बीच उनकी गाड़ी पुलिसवालों की बाइक पर थोड़ी चढ़ गई. पीछे बैठे सिपाही के पास लाठी थी और आगे बैठे सिपाही के पास बंदूक. आगे बैठे सिपाही ने सीधा सर (विवेक तिवारी) को गोली मार दिया”.
सना से इस बात से इनकार किया कि किसी तरह का एक्सिडेंट हुआ था. उन्होंने कहा कि ”गोली लगने के बाद भी वो गाड़ी चलाते रहे और आगे जाकर जब वो नहीं चला पाए तो गाड़ी एक पिलर से टकरा गई. इसके बाद दोनों पुलिसवाले वहां से फरार हो गए. मैं फोन ले जाना भूल गई थी और मैंने कई लोगों से मदद मांगी कि वे अपना फोन दे दें. मैं रोड पर चिल्ला रही थी कि कोई अपना फोन दे दो लेकिन किसी ने मदद नहीं की. इसके थोड़ी देर बाद पुलिस आई”.
‘अपराध हुआ है एनकाउंटर नहीं’
लखनऊ में शूटआउट मामले में दो आरोपी पुलिसवालों प्रशांत चौधरी और संदीप को हत्या के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. हालांकि पूरे मामले पर आरोपी कॉन्सटेबल का कहना है कि उसने बचाव में गोली चलाई थी. एडीजी कानून व्यवस्था आनंद कुमार ने कहा कि ”हमने इसे हत्या का मामला मानते हुए केस दर्ज किया है. दोनों सिपाहियों को जेल भेजा गया है. इसमें कॉन्सटेबल की गलती थी. घटना को देखकर लग रहा है कि गोली चलानेवाले हालात नहीं थे. ये अपराध हुआ है एनकाउंटर नहीं”.
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