दिल्ली। कर्ज का सूद नहीं चुका पाने वाली कंपनी IL&FS पर अब सरकार का कब्जा हो गया है. सत्यम कंप्यूटर के बाद पहली बार किसी प्राइवेट कंपनी को टेकओवर किया है. राष्ट्रीय कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने IL&FS के निदेश मंडल यानी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के पुनर्गठन के लिए केंद्र सरकार की अंतरिम याचिका मंजूर कर ली.
IL&FS पर अब सरकार का ‘कब्जा’
IL&FS के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में 6 सदस्यों को नियुक्त करेगी. नए बोर्ड में कोटक महिंद्रा के एमडी उदय कोटक, आईएएस ऑफिसर विनीत नैय्यर, पूर्व सेबी प्रमुख जीएन वाजपेयी, आईसीआईसीआई बैंक के पूर्व चेयरमैन जीसी चतुर्वेदी, आईएएस अधिकारी मालिनी शंकर और नंद किशोर शामिल हैं. इनकी पहली मीटिंग 8 अक्टूबर को होगी. इस तरह IL&FS पर अब सरकार का ‘कब्जा’ हो गया.
सत्यम कंप्यूटर के बाद IL&FS
साल 2009 में सरकार ने सत्यम कंप्यूटर को अपने कब्जे में लिया था. तब कंपनी के अंदर ‘अकाउंटिंग स्कैम’ सामने आया था. तब निवेशक आईटी सेक्टर में निवेश करने में घबराने लगे थे. सरकार ने उन्हीं निवेशकों की भरोसा बहाली के लिए सत्यम कंप्यूटर के मैनेजमेंट को अपने हाथों में लेकर इसे टेक महिंद्रा को बेच दिया था. फिलहाल इस तरह का अंदेशा नहीं जताया जा सकता मगर कहा जा सकता है कि IL&FS पर अब सरकार का ‘कब्जा’ हो गया.
IL&FS में सबसे ज्यादा शेयर LIC का
IL&FS की 25 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी रखनेवाली इंश्योरेंस कंपनी एलआईसी ने पिछले सप्ताह कहा था कि वो IL&FS को डूबने नहीं देगी. IL&FS के दूसरे बड़े शेयर धारक जापान की ओरिक्स कॉर्प के पास 23.54 प्रतिशत शेयर है. अबूधाबी इंवेस्टमेंट ऑथोरिटी के पास 12.56 फीसदी शेयर है. जबकि देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के पास IL&FS का 6.42 प्रतिशत हिस्सेदारी है. ऐसे में IL&FS पर अब सरकार का ‘कब्जा’ तय है.
कुल कर्ज 91 हजार करोड़ से ज्यादा
कई वर्षों से ‘ए प्लस’ रेटिंग पानेवाली IL&FS पर पिछले कुछ सालों से कर्ज का काफी बढ़ गया है. पिछले 2 महीने से हालात बद से बदतर हो गए. IL&FS और उसकी सब्सिडियरी कपंनियों के पास कर्ज का सूद देने के पैसे कम पड़ रहे थे. IL&FS पर साढ़े 16 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज है. सहायक कंपनियों को मिलकार कुल कर्ज 91 हजार करोड़ से ज्यादा है. ज्यादातर कर्ज बैंकों और इंश्योरेंस कंपनियों से लिए गए हैं. मगर नए फैसले से IL&FS पर अब सरकार का ‘कब्जा’ हो गया है.
IL&FS क्या है, किसने बनाया?
1987 में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया और हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कंपनी ने इफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को कर्ज देने के मकसद से एक कंपनी बनाई और इसका नाम दिया गया IL&FS (इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज). IL&FS सरकारी क्षेत्र की कंपनी है और इसकी कई सहायक कंपनियां है. इसे नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी यानी एनपीएफसी का दर्जा हासिल है. 1992-93 में कंपनी ने जापान की ओरिक्स कॉर्पोरेशन के साथ तकनीकी और वित्तीय साझेदारी के लिए करार दिया. 1996-97 में दिल्ली-नोएडा टोल ब्रिज बनाकर IL&FS कंपनी सुर्खियों में आई. इसके बाद से कई प्रोजेक्ट पर कंपनी ने काम किया. कई प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहे हैं. मगर फिलहाल IL&FS पर 91 हजार करोड़ का कर्ज है.
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