/बिहार शेल्टर होम सेक्स स्कैंडल: आरोपी ब्रजेश ठाकुर पर मेहरबान थी नीतीश सरकार!
आरोपी ब्रजेश ठाकुर पर मेहरबान थी नीतीश सरकर!

बिहार शेल्टर होम सेक्स स्कैंडल: आरोपी ब्रजेश ठाकुर पर मेहरबान थी नीतीश सरकार!

आरोपी ब्रजेश ठाकुर पर मेहरबान थी नीतीश सरकर!

पटना। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में बालिका गृह में 34 बच्चियों से रेप के मामले में केस सीबीआई को सौंप दिया गया है। इस केस की जांच अब सीबीआई ने शुरू कर दी है। लेकिन इस मामले में कई खुलासे हो रहे हैं कि आखिरी कैसे ये सब कुछ होता रहा और किसी को भनक तक नहीं लगी। जब भनक लगी तो महीनों कोई कार्रवाई नहीं हुई। रिपोर्ट्स के अनुसार मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर पर नीतीश सरकार मेहरबान थी।

आखिरी कैसे ये सब कुछ होता रहा?

खबर के अनुसार बिहार के मुजफ्फरपुर बाल गृह के मुख्य आरोपी माने जाने वाले ब्रजेश ठाकुर पर बिहार सरकार कितनी मेहरबान है, इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज होने वाले दिन उसको पटना में मुख्यमंत्री भिक्षावृत्ति निवारण योजना के तहत एक और अल्पावास का टेंडर दे दिया गया। समाज कल्याण विभाग के पास टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस की रिपोर्ट महीनों से मौजूद थी और उसे पता था कि ब्रजेश ठाकुर का एनजीओ सेवा संकल्प कई मामलों में संदिग्ध है। फिर भी यह टेंडर क्यों दिया गया?

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नया टेंडर क्यों दिया गया?

वहीं, समाज कल्याण विभाग के निदेशक राजकुमार ने कहा कि उन्हें पता चला तो उन्होंने सात जून को इस टेंडर को रद्द कर दिया, लेकिन राजकुमार की यह बात अपने आप में झूठ है। जब रिपोर्ट मार्च में आ गई थी तो मई में फिर से नया टेंडर क्यों दिया गया? इस टेंड लेटर पर राजकुमार का ही हस्ताक्षर है। इस सवाल का जवाब मिलना अभी बाकी है कि ब्रजेश ठाकुर के खिलाफ इतनी चीजें आने के बावजूद उन्हें टेंडर किसने दिलवाया।

चुप रहने के सांसद को ऑफर?

वहीं, इस मामले को लेकर बिहार के मधेपुरा से सांसद पप्पू यादव ने आरोप लगाया है कि मुझे चुप रहने के लिए 5-10 करोड़ रुपये का ऑफर किया गया है। लेकिन इस मामले ने पूरे देश को एक बार फिर से झकझोर कर रख दिया है।

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मुजफ्फरपुर बालिका गृह के संचालक और मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर का परिवार 1982 से प्रात: कमल नाम का एक हिन्दी अखबार भी निकालता है. उनके पिता राधा मोहन ठाकुर ने इसका प्रकाशन शुरू किया था. इन बालिका गृहों में 6 से 18 साल की वैसी लड़कियों को रखा जाता है जो अनाथ, भूली-भटकी, मानसिक रुप से बीमार या किसी दूसरे कारण से परिवार से अलग हो गई है.