केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर जी….ये खत आपके लिए ही लिखा गया है…दिल्ली की दसवी की छात्रा सुदीक्षा बिष्ट ने आपको इसके जरिए बीजेपी के वायदों का इतिहास….और दोबारा परीक्षा देनेवालों स्टूडेंट्स की मजबूरी का भुगोल बताया है…
देश के एक जिम्मेदार नागरिक होने के बावजूद भी आपने जो गणित बिठाया है…उससे न सिर्फ छात्रों का अर्थशास्त्र बिगड़ा है बल्कि उनका मनोबल भी टूटा है।
खैर पढ़ लीजिए आप भी ये खत…शायद इतने पढ़े तो होंगे कि कुछ समझ सकें…खत का थोड़ा मजमून आपके लिए….
10वीं की छात्रा का खत
प्रिय जावड़ेकर जी,
नमस्ते,
मैं दिल्ली की दसवीं क्लास में पढ़ने वाली छात्रा हूँ.
मैं और मेरी तरह वो 16 लाख बच्चे, जिन्होंने दसवीं की परीक्षा दी है. आपसे कुछ कहना चाहते हैं,
क्योंकि पिछले पांच दिन से हम आपको और आपकी टीम को केवल टीवी पर देख और सुन रहे हैं.
मैंने टीवी पर आपको बोलते सुना कि रात को आपको नींद नहीं आई, क्योंकि आप भी एक पिता हैं.
आप दसवीं के बच्चों के साथ साथ उनके अभिभावकों का भी दर्द समझ सकते हैं.
हम बच्चों और हमारे घरवालों के दर्द को समझने का दावा करने के लिए आपका शुक्रिया, लेकिन आपके इस दर्द को दिल्ली पुलिस हमसे ज़्यादा समझ गयी और शायद पहले भी समझ गयी.
इसलिए सुना है आपके घर पर सुरक्षा इंतज़ाम ज़्यादा पुख़्ता कर दिया गया और उस इलाके में धारा 144 लगा दी गई.
उम्मीद है, इतने इंतज़ाम के बाद अब रातों में आपको नींद अच्छी आ रही होगी. लेकिन हम 16 लाख बच्चों की नींद अब भी ग़ायब है।
आखिर कब तक आप हम लाखों बच्चों को यूं ही गिनी पिग समझते रहेंगे. गिनी पिग तो समझते हैं ना?
हाँ हाँ , वही जानवर जिसकी जान इंसानों की दवा तैयार करने के लिए ले ली जाती है.
प्लीज सर, हम बच्चों को अपनी पॉलिटिक्स की लेबोरेटरी का गिनी पिग ना बनाएं. कभी तो हम बच्चों को वोटर न समझ कर बच्चा ही समझिये.
पूरे सस्पेंस पर से जल्दी से पर्दा उठाइए.
आपकी
सुदीक्षा बिष्ट