पटना। पूर्व रेल मंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव अक्सर नीतीश कुमार के बारे में कहते रहे हैं कि उनके पेट में दांत है। नीतीश कब क्या फैसला लेते हैं, किसी को पता नहीं चलता है। महागठबंधन को छोड़कर एनडीए में आए नीतीश कुमार को अभी एक साल भी नहीं हुआ है लेकिन कुछ बातों से लगता है कि अब उनका मन-मन ऊब गया है।
बीजेपी पहले की तरह उन्हें तवज्जो नहीं दे रही है, इसलिए नीतीश भी अंदर-अदर खेल करने में लगे हैं। लेकिन इस बात की आहट बीजेपी को भी हो गई है।
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बीजेपी पहले की तरह तवज्जो नहीं दे रही
दरअसल, नीतीश की नाराजगी कई वजहें हैं, लेकिन कभी खुलकर बात नहीं करते। मगर एनडीए में आने के 10 महीने बाद पहली बार नीतीश ने मोदी सरकार के फैसले के खिलाफ मुंह खोला है।
नीतीश ने नोटबंदी के फैसले पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि इससे फायदा किसको हुआ है। वहीं, चंद्राबाबू नायडू के एनडीए से अलग होने के बाद नीतीश कुमार के ऊपर बिहार के विपक्षी दल लगातार आरोप लगाते हैं कि विशेष राज्य के दर्जे पर अब नीतीश चुप क्यों हैं।
उन्हें भी चंद्राबाबू की तरह कुर्सी का मोह छोड़ इस्तीफा दे देनी चाहिए। नीतीश खुद तो नहीं लेकिन उनके दल के कुछ नेताओं ने इस मांग को फिर से जिंदा कर दिया। लेकिन नीतीश कुमार को अंदर ही अंदर घुटन महसूस हो रही है।
बिहार एनडीए को ही तोड़ना चाहते हैं नीतीश?
यही वजह है कि पिछले कुछ महीनों से वे एनडीए और महागठबंधन से अलग बिहार की राजनीति में नया विकल्प देख रहे हैं। बिहार में एनडीए में चार दल शामिल हैं। बीजेपी, जेडीयू, लोजपा और रालोसपा।
नीतीश कुमार की तरह ही लोजपा और रालोसपा को भी इस बात का मलाल रहता है कि बीजेपी ने उन्हें भाव नहीं दे रही है। ऐसे में नीतीश इस बार बिहार एनडीए को ही तोड़ना चाहते होंगे।
क्योंकि हाल के दिनों में उनकी एलजेपी चीफ रामविलास पासवान और रालोसपा चीफ उपेंद्र कुशवाहा से नजदीकियां काफी बढ़ी हैं। पिछले कुछ महीनों में दोनों नेताओं ने नीतीश ने अपने सरकारी आवास पर कई बार गुफ्तगू की है।
एनडीए के साथ आने के बाद नीतीश कुमार रामविलास के भाई पशुपति कुमार पारस को अपनी कैबिनेट में जगह भी दी। इसके साथ ही रामविलास के कहने पर पासवान जाति को भी महादलितों जैसी सुविधाएं दी। नीतीश, कुशवाहा और रामविलास की जुगलबंदी का अंदाजा तो बीजेपी को खूब है।
इसलिए बीजेपी के कई नेता इस मुद्दे पर खुलकर बोलने से बचते रहे हैं। नीतीश कुमार की नाराजगी हाल के दिनों में लगता है कि कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है।
बधाईवाला ट्वीट भी राज़ छोड़ गया
सरकार के चार साल पूरे होने पर नीतीश कुमार ने ट्वीट कर लिखा कि ‘माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सरकार के गठन के चार साल पूरे होने पर बधाई।
विश्वास है कि सरकार जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरेगी।’ दरअसल, नीतीश कुमार द्वारा ट्वीट किया गया यह लाइन आपको देखने में भले ही साधरण लग रहा हो लेकिन इसके अंदर कई चीजें छुपी हैं।
माननीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi को सरकार के गठन के 4 साल पूरे होने पर बधाई। विश्वास है कि सरकार जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरेगी।
— Nitish Kumar (@NitishKumar) May 26, 2018
वहीं, कभी एक नेशन एक इलेक्शन के पक्ष में खड़े रहने वाले नीतीश कुमार अब इसके पक्ष में नहीं हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि 2019 के आम चुनाव से पहले नीतीश फिर से अपना पाला बदल सकते हैं। क्योंकि वे राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं और उन्हें पता है कि ऊंट कब किस करवट बैठेगा।
7 जून को बिहार एनडीए की बैठक
ऐसे में नीतीश के बदलते तेवर से बीजेपी के अंदर भी खलबली है। बीजेपी को भी लगने लगा है कि अगर नीतीश कुमार को इसी तरह इग्नोर किया जाता रहा तो 2019 की राहें मुश्किल हो जाएगी।
इसलिए आनन-फानन में सात जून के बिहार एनडीए की बैठक बुलाई गई है। जिसमें बिहार एनडीए के सभी दल के नेता शामिल होंगे। इस बैठक की अध्यक्षता बिहार के सीएम नीतीश कुमार ही करेंगे, जिसमें बदली राजनीतिक परिस्थितियों पर चर्चा करेंगे।
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