दिल्ली। 4 दिन तक चलने वाला आस्था का महापर्व छठ पूजा 11 नवंबर (रविवार) को नहाय खाय के साथ शुरू हो गया. यानी लोग अपने घर की साफ-सफाई करने और सात्विक भोजन करने के साथ ही छठ पूजा शुरू करेंगे. छठ पूजा में सफाई का खास ध्यान रखा जाता है. छठ पूजा के सामान जुटाना भी कम बड़ा काम नहीं होता है. इसकी सबसे पहले लिस्टिंग करनी पड़ती है ताकि बार-बार बाजार न जाना पड़े. इसके लिए आपको पूजन सामग्री लिस्ट और पूजा की विधि जानना जरूरी होता है.
महापर्व छठ पूजा सामग्री की सूची
- प्रसाद रखने के लिए बांस की 2-3 बड़ी टोकरी
- बांस या पीतल के बने 3 सूप, थाली, लोटा, दूध और जल के लिए ग्लास
- नए वस्त्र साड़ी या कुर्ता पजामा
- चावल, लाल सिंदूर, धूप और बड़ा दीपक
- पानी वाला नारियल, गन्ना जिसमें पत्ता लगा हो
- सुथनी और शकरकंदी, इसके अलावा भी फल
- हल्दी और अदरक का पौधा हरा हो तो अच्छा
- नाशपाती और बड़ा वाला मीठा नींबू, जिसे टाब भी कहा जाता है
- शहद की डिब्बी, पान और साबुत सुपारी
- कैराव, कपूर, कुमकुम, चंदन और मिठाई
- ठेकुआ, मालपुआ, खीर-पूड़ी, खजूर, सूजी का हलवा
- चावल का बना लड्डू, जिसे लडुआ भी कहा जाता है
- इसके अलावा भी कई चीजें प्रसाद के तौर पर चढ़ाया जाता है
छठ पूजा की विधि
टोकरी को अच्छे से धोकर उसमें ठेकुआ के अलावा नई फल और सब्जियां भी रखी जाती है. जैसे केला, अनानास, बड़ा मीठा नींबू, सेब, सिंघाड़ा, मूली, अदरक पत्ते समेत, गन्ना, कच्ची हल्दी पत्ता समेत, नारियल आदि रखते हैं. सूर्य को अर्घ्य देते वक्त सारा प्रसाद सूप में रखते हैं. सूप में ही दीपक भी जलता है. लोटा से सूर्य को दूध, गंगाजल या साफ जल से फल प्रसाद के ऊपर चढ़ाते हुए अर्घ्य दिया जाता है.
छठ में प्रसाद के तौर पर बनने वाले ठेकुआ और चावल के लड्डू उसी चावल और गेहूं से बनेंगे, जो खास तौर पर छठ के लिए धोए, सुखाए और पिसवाए जाते हैं. ध्यान रहे कि सुखाने के दौरान अनाज पर किसी का पैर न जाए. यहां तक कि कोई पक्षी भी चोंच ना मार पाए, क्योंकि फिर उसे जूठा माना जाता है. ऐसे चावल और गेहूं का इस्तेमाल छठ पूजा के लिए वर्जित है.
छठ पूजा की तिथि और समय
- नहाय खाय- 11 नवंबर (रविवार)
- खरना- 12 नवंबर (सोमवार)
- सायं कालीन अर्घ्य- 13 नवंबर (मंगलवार)
सूर्यास्त- 5 बजकर 26 मिनट - प्रात:कालीन अर्घ्य- 14 नवंबर (बुधवार)
सूर्योदय- 6 बजकर 32 मिनट