दिल्ली। भारत के सबसे भारी रॉकेट ‘बाहुबली’ को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च कर दिया गया. GSLV MK 3-D2/GSAT-29 मिशन के लॉन्चिंग के साथ ही भारत ने इतिहास रच दिया. ये GSLV की तीसरी पीढ़ी है जो अपनी पुरानी श्रेणी की तुलना में आकार और स्टेज में काफी अलग है. पहले की अपेक्षा ये दोगुना वजन उठा सकता है.
जीसैट-29 का वजन 641 टन
GSLV MK 3-D2/GSAT-29 उपग्रह करीब 43.5 मीटर ऊंचा और 641 टन वजनी है. जिसे बुधवार को श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के द्वितीय लांच पैड से शाम पांच बजकर आठ मिनट पर लॉन्च किया गया. उड़ान भरने के 17 मिनटों के बाद सेटेलाइट अलग-अलग हो गए और जीसैट-29, 35 हजार 975 किलोमीटर की ऊंचाई पर कक्षा में स्थापित हो गया.
#WATCH: Indian Space Research Organisation (ISRO) launches GSLV-MK-III D2 carrying GSAT-29 satellite from Satish Dhawan Space Centre in Sriharikota. #AndhraPradesh pic.twitter.com/7572xEzTq2
— ANI (@ANI) November 14, 2018
डिजिटल इंडिया में मददगार
इसे अंतरिक्ष में इसरो की एक और उड़ान माना जा रहा है. जीसैट-29 संचार उपग्रह का वजन 3 हजार 423 किलोग्राम है. जम्मू-कश्मीर सहित देश के दूर-दराज के इलाकों में इंटरनेट पहुंचाने में मदद मिलेगी. यूनिक किस्म के ‘हाई रेज्यूलेशन’ कैमरा से ये उपग्ह लैस है. हिंद महासागर में दुश्मनों के जहाजों पर नजर रखी जाएगी.
जीसैट-29 से भारत को फायदा
- जीसैट-29 एक संचार उपग्रह यानी कम्युनिकेशन सैटेलाइट है. इसरो ने इसके साथ इस्तेमाल के तौर पर कुछ यंत्र भी लगाए हैं
- ये सैटेलाइट पृथ्वी से 36 हजार किलोमीटर ऊपर अपनी कक्षा में तैनात होगा. सिर्फ भारत के संबंध में ही इस्तेमाल में लिया जाएगा.
- जीएस-29 से जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत में कम्युनिकेशन में इजाफा होगा और इंटरनेट मुहैयाकराने में सुविधा मिलेगी.
- सैटेलाइट आधारित इंटरनेट कम्युनिकेशन इसका मुख्य काम होगा, खासकर डिजिटल इंडिया प्रोजेक्ट में मददगार होगा.
- इसमें प्रयोग के तौर पर कुछ और यंत्र भी लगाए गए हैं. कम्युनिकेशन के अलावा दूसरे काम भी करेंगे. सैटेलाइट में उसका फायदा होगा.
- जीसैट-29 में खास किस्म का हाई रिजॉल्यूशन कैमरा लगाया गया है जो दिन के समय लगातार भारत की तस्वीरें मुहैया कराएगा.
- इससे दुश्मन देशों के जहाजों की संदिग्ध गतिविधियों को ट्रैक करने में खासी मदद मिलेगी. मौसम संबंधी जानकारियां भी मिलेगी.
- इसरो ने पहली बार इस सैटेलाइट में एक लेजर आधारित कम्युनिकेशन सिस्टम लगाया है.
- लेजर आधारित कम्युनिकेशन सिस्टम से ग्राउंड स्टेशन और सैटेलाइटके बीच संवाद किया जा सकेगा.
- अब तक माइक्रोवेव के जरिए सैटेलाइट सारी जानकारी मुहैया कराते थे.