पटना। बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित बालिका गृह में 34 लड़कियों के साथ रेप मामले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस मामले में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं। सरकार ने जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया है। मुजफ्फरपुर पुलिस ने 34 लड़कियों के साथ मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद रेप की पुष्टि की है। वहीं, बालिका गृह की पीड़िताओं ने एक अखबार से बात करते हुए बताया है कि देर रात तक उनका रेप होता था।
‘गृह’ में 34 लड़कियों के साथ रेप
अखबार के अनुसार ने लड़कियों ने कहा है कि उन्हें भूखा रखने के साथ ही ड्रग्स दिए जाते थे। सभी पीड़ित लड़कियों की उम्र 7-18 साल की है। जिसमें से ज्यादातर को बोलने में परेशानी है। उनलोगों ने आरोप लगाया है कि उन्हें खाने में दवाएं मिलाकर दी जाती थीं, बिना कपड़े सोने पर मजबूर किया जाता था और विरोध करने पर बुरी तरह से पीटा जाता था।
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खबरों के मुताबिक एक 10 साल की पीड़िता ने पॉक्सो कोर्ट को बताया कि मेरे खाने में नशे की दवाई मिलाई जाती थी जिसकी वजह से मुझे बेहोशी महसूस होती थी। मुझसे आंटियां कहती थीं कि ब्रजेश सर के कमरे में सो जाओ और वह उन आगंतुकों के बारे में बात करते थे जो आने वाले होते थे। बालिका गृह में रहने वाली ज्यादातर लड़कियां अनाथ हैं या फिर खोई हुई हैं। जिन्हें पुलिस यहां भेज देती थी।
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‘कीड़े की दवाई कहा जाता था’
इस गृह का संचालन सेवा संकल्प समिति करती है जिसके मुखिया का नाम ब्रजेश कुमार ठाकुर है। ठाकुर अपने स्टाफ के 9 सदस्यों के साथ इस समय न्यायिक हिरासत में है। पीड़िताओं के खाने में मिलाए जाने वाली नशे की दवा को कीड़े की दवाई कहा जाता था। एक पीड़िता ने बताया कि आंटियां मुझे रात में कीड़े की दवाई देती थीं। जिसकी वजह से मैं सो जाया करती थी। मना करने पर उनकी पिटाई होती थी।
5 साल, 470 लड़कियां
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पुलिस का मानना है कि पिछले पांच सालों में 470 लड़कियों को बालिका गृह लाया गया था। पड़ोसियों का कहना है कि उन्होंने कई बार लड़कियों के चिल्लाने की आवाज सुनी थीं लेकिन किसी ने इसकी शिकायत नहीं की। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पड़ोस में रहने वाली एक महिला ने बताया कि लड़कियां कभी कैंपस के अंदर या फिर छत पर घूमती हुई दिखाई नहीं दीं।
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