दिल्ली। भीम आर्मी और चंद्रशेखर आजाद रावण सुर्खियों में है. लोग ये जानना चाहते हैं कि आखिर भीम आर्मी क्या है. ये कैसा संगठन हैं. चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ कौन हैं? आखिर अपने नाम में रावण शब्द क्यों जोड़ेगा. जबकि उत्तर भारत में रावण एक निगेटिव कैरेक्टर है. वो कौन सा विवाद था जिसके वजह से भीम आर्मी और रावण के बारे में इतनी चर्चा की जाती है. आखिरी सियासी पार्टियां उनके बारे में बोलने से क्यों बच रही है?
चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ कौन हैं?
भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर अजाद ‘रावण’ का जन्म उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में चुटमुलपुर के पास घडकोली गांव में हुआ. स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने देहरादून में कानून की पढ़ाई की और पेशे से वकील हैं. फिलहाल वो भीम आर्मी के अध्यक्ष हैं. जो दलितों के लिए पढ़ाई और दूसरी सेवाएं मुहैया कराने का दावा करती है. उनके तीन भाई हैं. जिनमें बड़े भाई का नाम भगत सिंह, दूसरे का नाम चंद्रशेखर और तीसरे का नाम कमल है. चंद्रशेखर की 2 बहनें भी हैं. बड़े भाई की शादी हो चुकी है और वो खेती करते हैं. चंद्रशेखर खुद अविवाहित हैं. उनका तीसरा भाई पढ़ाई के साथ-साथ एक मेडिकल स्टोर पर नौकरी करता है. एक चचेरा भाई भी है जो इंजीनियर है. चंद्रशेखर के पिता जी सरकारी स्कूल में टीचर थे. चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ कौन हैं? कि कहानी अभी यहीं पूरी नहीं होती है.
ये भी पढ़ें: देश के 131 सांसदों और 1100 विधायकों को ‘रावण’ का अल्टीमेटम
चंद्रशेखर के नाम में ‘रावण’ कहां से आया?
बाद में चंद्रशेखर ने अपने नाम के साथ ‘रावण’ शब्द जोड़ लिया. दरअसल चंद्रशेखर रामचरित मानस में रावण के चरित्र से काफी प्रभावित हैं. यही वजह रही कि उन्होंने अपने नाम में ‘रावण’ शब्द जोड़ लिया. चंद्रशेखर खुद को ‘रावण’ कहलाना ज्यादा पसंद करते हैं. इसके पीछे उनका तर्क है कि ‘रावण’ अपनी बहन शूर्पनखा के अपमान की वजह से सीता को उठा लाया था. लेकिन उनको भी सम्मान के साथ रखता था. भले ही समाज में ‘रावण’ का चित्रण नकारात्मक किया जाता रहा हो लेकिन जो व्यक्ति अपनी बहन के सम्मान के लिए लड़ सकता है और अपना सब कुछ दांव पर लगा सकता है, वो गलत कैसे हो सकता है. यही वजह है कि चंद्रशेखर खुद को ‘रावण’ कहलाना ज्यादा पसंद करते हैं. कई लोगों के मन में बार-बार ये सवाल उठता है कि आखिर चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ कौन हैं?
ये भी पढ़ें: जेल से बाहर आते ही ‘रावण’ ने भरी BJP को हराने की हुंकार, मायावती को बताया बुआ
भीम आर्मी के गठन की कहानी
भीम आर्मी के गठन का आइडिया छुटमुलपुर के रहनेवाले एक दलित चिंतक सतीश कुमार के मन में आया. सतीश कुमार पिछले कई वर्षों से ऐसे एक संगठन बनाने की जुगत में थे, जो दलितों का उत्पीड़न करनेवाले को करारा जवाब दे सके. लेकिन कोई दलित काबिल युवक उनको नहीं मिल रहा था, जो इसकी कमान संभाल सके. ऐसे में उन्हें जब चंद्रशेखर मिले तो उन्होंने भीम आर्मी का अध्यक्ष बना दिया. भीम आर्मी की औपचारिक रुप से स्थापना साल 2015 में की गई. इसका पूरा नाम ‘भीम आर्मी एकता मिशन’ है. चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ कौन हैं? कि कहानी यहीं नहीं रुकती है.
इससे पहले 2011 में छुटमुलपुर में सतीश कुमार के साथ मिलकर कुछ युवाओं ने ‘भारत एकता मिशन भीम आर्मी’ का गठन किया था. इस संगठन का मकसद सहारनपुर में दलितों के हितों की रक्षा और दलित समुदाय के बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देना था. सहारनपुर के भादो गांव में संगठन ने पहला स्कूल खोला. हालांकि इससे पहले भी संगठन के लोग दलितों पर हो रहे अत्याचार के विरोध में जंग के लिए तैयार रहते थे. सहारनपुर का एएचपी कॉलेज भीम आर्मी का प्रेरक केंद्र बना. इस कॉलेज में राजपूतों और दलितों में वर्चस्व की लड़ाई काफी पुरानी है. इस संगठन में दलित युवकों के साथ-साथ पंजाब और हरियाणा के सिख युवा भी जुड़े हैं. सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर समेत पश्चिमी यूपी में यह संगठन अपनी खास पहचान बनाए हुए है. इसी साथ उन सवालों के जवाब मिल जाता है कि आखिर चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ कौन हैं?
ये भी पढ़ें: अबकी बार आरक्षण से होगा बेड़ा पार!, क्यों गाया जा रहा ‘रिजर्वेशन सॉन्ग’?
ये भी पढ़ें: क्या वाकई जाह्नवी कपूर ने ‘नीचे’ कुछ नहीं पहना था?
…जब सुर्खियों में आया भीम आर्मी
मई 2017 में सहारनपुर के शब्बीरपुर में कई स्थानों पर हुए जातीय हिंसा में भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं पर उत्पात मचाने का आरोप लगा. इस दौरान कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया था. एक पुलिस चौकी को भी उपद्रवियों ने फूंक डाला. इस पूरे मामले में पुलिस ने भीम आर्मी से जुड़े कई लोगों को गिरफ्तार किया, मगर चंद्रशेखर भाग निकले. बाद उन्हें हिमाचल प्रदेश के डलहौजी से गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तारी के बाद भी काफी उत्पात हुआ था. बाद में नवंबर 2017 में हाईकोर्ट से जमानत मिल गई. तभी सरकार ने ‘रावण’ पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगा दिया. इसकी वजह से रावण के जेल से निकलने का रास्ता बंद हो गया. मगर अब सरकार ने रासुका हटा लिया और चंद्रशेखर जेल से बाहर हैं.