/‘मैडम’ कहलाना क्यों पसंद नहीं करती हैं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर?
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‘मैडम’ कहलाना क्यों पसंद नहीं करती हैं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर?

दिल्ली। मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर (Pragya thakur) भोपाल में कांग्रेस के ‘चाणक्य’ कहे जाने वाले दिग्विजय से मुकाबला करने के लिए मैदान में हैं. भगवा पहने 49 साल की प्रज्ञा भाषण कला में माहिर हैं. राजनीति में इस ‘कला’ का कितना फायदा मिलेगा इसका पता रिजल्ट के बाद चलेगा. प्रज्ञा ठाकुर ने भोपाल की सियासी जंग को ‘धर्मयुद्ध’ करार दिया है.

‘मुझे मोटे बेल्ट से पीटा गया’

प्रज्ञा ठाकुर (Pragya thakur) अपने ओजस्वी भाषणों के जानी जाती हैं. ‘कुछ लोग’ इन्हें सुनना काफी पसंद करते हैं. अपने पहले चुनावी कार्यक्रम में प्रज्ञा सिंह ने भावुक भाषण दिया. इस दौरान उनकी आंखें भी नम हो गई. उन्होंने कहा कि ‘मुझे गैरकानूनी तरीके से लेकर गए तो 13 दिन तक रखा. हिरासत में मुझे मोटे बेल्ट से पीटा गया. उसे झेलना आसान नहीं था. पूरा शरीर सूज जाता था, सुन्न पड़ जाता था. दिन और रात पीटते थे. मैं (Pragya thakur) आपको अपनी पीड़ा बता रही हूं. लेकिन इतना कह रही हूं कि कोई महिला कभी इस पीड़ा का सामना न करे. पीटते-पीटते गंदी-गंदी गालियां देते थे. वे कहलवाना तुमने एक विस्फोट किया है और मुस्लिमों को मारा है. सुबह हो जाती थी पिटते-पिटते. पीटने वाले लोग बदल जाते थे लेकिन पिटने वाली मैं सिर्फ अकेल रहती थी’.

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वोटों के ध्रुवीकरण पर जताया भरोसा

पहली बार चुनाव लड़ रही प्रज्ञा ठाकुर (Pragya thakur) के सामने भोपाल में कांग्रेस के उम्मीदवार दिग्विजय सिंह हैं, जो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. करीब 25 दिन पहले ही उनकी उम्मीदवारी का एलान कांग्रेस ने कर दिया था. वो धुआंधार-लगातार जनसंपर्क कर रहे हैं.

1989 से भोपाल से कांग्रेस नहीं जीती है. यहां से बीजेपी के सांसद आलोक संजर का कद दिग्विजय सिंह के सामने काफी छोटा है. वैसे बीजेपी से शिवराज सिंह चौहान, उमा भारती, महापौर आलोक शर्मा और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की भी चर्चा जोरों पर रही. मगर कोई भी दिग्विजय के सामने आना नहीं चाहता था. आखिर में बीजेपी ने वोटों के ध्रुवीकरण (Pragya thakur) पर भरोसा जताया और आनन-फानन में साध्वी प्रज्ञा सिंह को मैदान में उतार दिया गया.

‘साध्वी जी’ कहलाना प्रज्ञा को पसंद

प्रज्ञा ठाकुर गेरुआ वस्त्र पहनती हैं. सिर पर पगड़ी बांधती हैं और ‘हरिओम’ उनका अभिवादन हैं. आम बातचीत में प्रज्ञा ठाकुर (Pragya thakur) ‘मैडम’ कहलाना पसंद नहीं करती हैं. उनकी शर्त होती हैं उन्हें लोग ‘साध्वी जी’ कहें. उनके चाहने वाले ऐसा करते भी हैं. प्रज्ञा सिंह ने अपने जीवन के 9 साल जेल में गुजारे हैं.

सितंबर 2008 में हुए माले गांव बम ब्लास्ट मामले में उन्हें (Pragya thakur) गिरफ्तार किया गया था. इसमें 6 लोगों की जान गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. एनआईए ने इस मामले में प्रज्ञा को 2015 में क्लीन चिट दे दी थी, लेकिन कोर्ट ने उन्हें बरी नहीं किया है. स्वास्थ्य कारणों से वो अप्रैल 2017 से जमानत पर हैं.

मगर प्रज्ञा (Pragya thakur) की राह में कानून अड़चनें भी है, और इसकी शुरुआत हो गई है. कोर्ट में उनके खिलाफ याचिका दाखिल की गई है, जिसमें कहा गया है कि ‘साध्वी प्रज्ञा को जमानत स्वास्थ्य कारणों से मिली थी, लेकिन यह साफ है कि इस गर्मी में चुनाव लड़ने के लिए उनकी सेहत ठीक है. यानी उन्होंने अदालत को गुमराह किया है’.