‘राक्षसी शासन’ के विरोध में बुआ-बउआ साथ-साथ, कांग्रेस ने दिखाया ’80 इंच का सीना’
लखनऊ. 25 सालों से अधिक समय तक एक-दूसरे की कट्टर प्रतिद्वंद्वी रहीं बहुजन समाज पार्टी (BSP) और समाजवादी पार्टी (SP) ने एक साथ आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. दोनों दलों ने 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया. उत्तर प्रदेश में लोकसभा की कुल 80 सीटें हैं.
रायबरेली और अमेठी सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ दी गई हैं, जो गठबंधन से बाहर है. बसपा अध्यक्ष मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि बसपा और सपा 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी, जबकि अन्य दो सीटें एक-दो सहयोगियों के लिए छोड़ी गई हैं. उन्होंने कहा कि हमने अमेठी और रायबरेली सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ दी हैं, लेकिन हम उनके साथ कोई गठबंधन नहीं कर रहे हैं.
2022 तक गठबंधन बरकरार रहेगा
सवालों के जवाब में मायावती ने गठबंधन को एक स्थाई व्यवस्था करार दिया, जो न केवल तानाशाही, अभिमानी और जन-विरोधी भाजपा को खत्म करेगा, बल्कि यह 2019 के आम चुनाव से आगे बढ़ते हुए 2022 के विधानसभा चुनाव में भी बरकरार रहेगा. उन्होंने कहा कि दोनों दल भाजपा के ‘राक्षसी शासन’ को खत्म करने के लिए अपने निजी मतभेदों को एक तरफ कर देंगे.
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अखिलेश का मायावती को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में समर्थन
वहीं, अखिलेश ने मायावती को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में समर्थन देने का संकेत देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश ने अतीत में कई प्रधानमंत्री दिए हैं. आप जानते हैं कि मैं किसका समर्थन करूंगा. अगर इस राज्य से कोई प्रधानमंत्री बनता है तो मुझे खुशी होगी.
यूपी में सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी कांग्रेस
इधर, कांग्रेस ने आगामी लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. सपा और बसपा द्वारा गठबंधन की घोषणा करने के एक दिन बाद कांग्रेस महासचिव गुलाम नबी आजाद ने कहा कि उनकी पार्टी का गठबंधन का हिस्सा नहीं बनना एक तरह से अप्रत्यक्ष बेहतरीन बात है क्योंकि इससे उसे राज्य की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का अवसर मिला है.