एयरफोर्स के ‘पावर’ इंजन GSAT-7A की सफल लॉन्चिंग
ISRO ने अपने कम्यूनिकेशन सैटेलाइट GSAT-7A को सफलतापुर्वक लॉन्च कर दिया है। कम्यूनिकेशन सैटेलाइट GSAT-7A को इसरो ने इंडियन आर्मी और एयरफोर्स के लिए खास तौर पर तैयार किया है। GSAT-7A को एयरफोर्स का पावर और कम्यूनिकेशन इंजन भी कहा जा रहा है।
एयरफोर्स का ‘पावर’ इंजन
दरअसल, GSAT-7A के जरिए ग्राउंड रेडार स्टेशन, एयरबेस और AWACS इंटरलिंक होंगे। इससे ड्रोन ऑपरेशंस को नई ताकत मिलेगी और इसकी क्षमता में इजाफा होगा। साथ ही इससे एयरफोर्स को नेटवर्क-केंद्रित युद्ध और ग्लोबल ऑपरेशंस में मदद मिलेगी। यही वजह है कि GSLV-F के 11 रॉकेट के जरिए लॉन्च हुए इस सैटेलाइट को एयरफोर्स का पावर और कम्यूनिकेशन इंजन कहा जा रहा है।
कितना आधुनिक है GSAT-7A ?
इस सैटेलाइट को क्यों भारत का अब तक का सबसे आधुनिक मिलिट्री कम्यूनिकेशन सैटेलाइट कहा जा रहा है…आइए ये भी बताते हैं आपको –
सैटेलाइट GSAT-7A में 4 सोलर पैनल लगाए गए हैं…
4 सोलर पैनल से 3.3 किलोवाट बिजली पैदा होगी
इसमें बाई-प्रोपेलैंट का केमिकल प्रोपल्शन सिस्टम लगा है
प्रोपल्शन सिस्टम से आगे-पीछे, ऊपर-नीचे जाने में मदद मिलेगी
7A सैटेलाइट का वजन करीब 2,250 किलोग्राम है
इसे बनाने में करीब 800 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं
2013 में लॉन्च हुई थी रुक्मिणि
मौजूदा लॉन्च किए गए GSAT-7A से पहले भारत 2013 में रुक्मिणि नाम से GSAT-7 लॉन्च कर चुका है। GSAT-7 को भारतीय नौसेना के लिए तैयार किया गया था। इस सैटेलाइट के जरिए नेवी के युद्धक जहाजों, पनडुब्बियों और हवाई जहाजों को संचार की सुविधाएं मिलती हैं। ISRO आने वाले समय में भारतीय वायुसेना के लिए एक और सैटलाइट GSAT-7C भी लॉन्च करने की तैयारी में है। इससे एयरफोर्स के नेटवर्क आधारित ऑपरेशनल सिस्टम में और ज्यादा बढ़ोतरी हो जाएगी।
अब तक कितने मिलिट्री सैटेलाइट ?
आपको बता दें कि इस वक्त धरती के ऊपर करीब 320 मिलिट्री सैटेलाइट चक्कर काट रहे हैं। 320 मिलिट्री सैटेलाइट्स में भारत के 13 मिलिट्री सैटेलाइट हैं। इनमें भारत के ज्यादातर सैटेलाइट्स रिमोट-सेंसिंग सैटेलाइट्स हैं। इन 13 सैटेलाइट्स में कार्टोसैट सीरीज और रीसैट सैटलाइट्स शामिल हैं।
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पिछले कुछ सालों से चीन ने मिलिट्री सैटेलाइट्स को लेकर काफी काम किया है। ऐसे में भारत के लिए भी जरूरी हो गया था कि वो भी मिलिट्री सैटेलाइट्स की ना केवल संख्या बढ़ाए बल्कि उसे ज्यादा एडवांस भी करे। GSAT-7A इसी कड़ी में एक और कदम है।
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