सोमवती और मौनी अमावस्या (mauni amawasya kumbh) के मौके पर तीर्थ नगरी प्रयागराज में दूसरा शाही स्नान हुआ। एक ओर अखाड़ों का शाही स्नान चला, तो दूसरी ओर करोड़ों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। पवित्र संगम में स्नान के लिए रात से ही श्रद्धालु, तट पर जमा होने लगे थे।
कुंभ में आस्था की डुबकी
संगम के साढ़े 5 किलोमीटर के दायरे में 40 से अधिक घाटों पर दूर-दूर तक सिर्फ श्रद्धालु ही श्रद्धालु दिखाई दे रहे थे। तड़के स्नान शुरु हुआ…और अकेले महाकुंभ में 2 करोड़ से ज्यादा लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई। वहीं, महाकुंभ में शाही स्नान के लिए 13 अखाड़े संगम पहुंचे।
संगम पहुंचे अखाड़ों में श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी, श्री पंचायती अटल अखाड़ा, श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा शामिल रहे। इसके अलावा तपोनिधि श्री पंचायती आनन्द अखाड़ा, श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा भी संगम पहुंचे। साथ ही, श्री शंभू पंच अग्नि अखाड़ा, अखिल भारतीय श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़े ने भी डुबकी लगाई। वहीं, अखिल भारतीय पंच निर्मोही अनी अखाड़ा, और श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन भी शाही स्नान में शामिल रहे।
सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम
संगम में स्नान-दान को आए श्रद्धालुओं पर हेलिकॉप्टर से पुष्प वर्षा की गई। साथ ही वहां उनकी सुरक्षा का भी पुख्ता इंतजाम किया गया था। ये बड़ी वजह रही कि सुबह दिन चढ़ने के साथ दो करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु संगम (mauni amawasya kumbh) में पवित्र स्नान कर पाए।
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हर कि पौड़ी में भी स्नान
प्रयागराज से दूर उत्तराखंड में हर कि पौड़ी और ऋषिकेश में भी श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा। हर कि पौड़ी में 5 लाख श्रद्धालुओं ने स्नान किया। वहीं ऋषिकेश में दूर-सुदूर से आए श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। दरअसल, मौनी अमावस्या (mauni amawasya kumbh) के दिन गंगा स्नान और दान पुण्य का बड़ा महत्व है। माना जाता है कि इससे राहु, केतु और शनि से संबंधित कष्टों से मुक्ति मिलती है।
मौनी अमावस्या ख़ास क्यों?
मौनी अमावस्या का बड़ा महत्व है। शास्त्रों के मुताबिक इस दिन सभी देवी-देवता प्रयाग तीर्थ में इकट्ठे होते हैं। इसी दिन यहां पितृलोक से सभी पितृदेव भी आते हैं। पृथ्वी पर देवों और पितरों के संगम के तौर पर इसे जाना जाता है। मौनी अमावस्या के दिन पूरे दिन मौन रहने की परम्परा भी है। आज (mauni amawasya kumbh) के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से विशेष पुण्य मिलता है।
इतना ही नहीं, करीब 50 साल बाद प्रयागकुंभ में ऐसा अवसर आया है। इस बार मौनी अमावस्या के दिन ही सोमवती अमावस्या और महोदय योग का संयोग बना है। इस योग में गंगा और त्रिवेणी में स्नान से कई जन्मों के पाप खत्म होते हैं।