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दिल्ली में नीतीश, सीटों के बंटवारे के लिए शाह से मुलाकात

दिल्ली में नीतीश, सीटों के बंटवारे के लिए शाह से मुलाकात, LJP-RLSP की धड़कनें तेज

दिल्ली में नीतीश, सीटों के बंटवारे के लिए शाह से मुलाकात

दिल्ली। सीबीआई में तकरार पर सरकार की नजर है. दफ्तर से निकलकर पूरा मामला कोर्ट से होते हुए सड़क पर पहुंच गया है. इन सबके बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सीटों के बंटवारे के मसले पर दिल्ली में हैं. माना जा रहा है कि उनकी बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात होगी. माना जा रहा है कि बिहार में सीट बंटवारे की डील फाइनल हो जाना चाहिए.

बिहार में सीट बंटवारे की डील

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मुलाकात में 2019 लोकसभा चुनाव के लिए सीटों की तालमेल पर फाइनल एलान कर दिया जाएगा. बिहार में सीट बंटवारे की डील पर राजनीतिक बयानबाजी तीन महीने से हो रही है. मगर सीटों के मसले पर अब तक कोई एलान नहीं हुआ है. बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार कल देर शाम दिल्ली पहुंचे. आज उनकी मुलाकात भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात हो सकती है. इस दौरान 2019 लोकसभा चुनाव के लिए सीटों के मसले पर अंतरिम रूप दिया जा सकता है.

सीट बंटवारे का 50-50 फॉर्मूला

नीतीश कुमार के साथ बिहार यूनिट के अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह और पार्टी उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर भी साथ हैं. बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं. 50-50 सीटों के शेयर फॉर्मूले तहत जेडीयू को 17 और बीजेपी को 17 सीटें मिल सकती है. जबकि बाकी बचे 6 सीटों को रामविलास पासवान को 4 और उपेंद्र कुशवाहा को 2 सीटें मिल सकती है. हालांकि अब तक बिहार में सीट बंटवारे की डील का फाइनल एलान नहीं किया गया है. सीट शेयरिंग के मामले पर एलजेपी और आरएलएसपी ने पहले ही साफ कर दिया है कि 2014 में जितनी सीटों पर वो चुनाव लड़ी थी उससे कम पर कोई समझौता नहीं होगा. 2014 लोकसभा का चुनाव बीजेपी, एलजेपी और आरएलएसपी ने साथ मिल कर चुनाव लड़ा था.

बिहार में सीट बंटवारे का पेंच

2014 लोकसभा चुनाव के वक्त जेडीयू एनडीए का हिस्सा नहीं थी. 2014 में एलजेपी को 7 सीटें मिली थी, जिनमें 6 पर उसने जीत दर्ज की थी. जबकि उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी को 3 सीटें मिली थी और उसने तीनों सीटों पर जीत दर्ज की थी. बिहार में सीट बंटवारे की डील अब तक फंसा हुआ है. एनडीए के दोनों सहयोगी इस बार ज्यादा सीटों का डिमांड कर रहे हैं. इसी वजह से बिहार में अब तक सीटों का फॉर्मूला तय नहीं हो पाया है. बिहार एनडीए में जेडीयू एंट्री के बाद एलजेपी और आरएलएसपी का गुणा-गणित गड़बड़ा गया. जेडीयू पहले ही कह चुकी है कि सहयोगियों से डील करना बीजेपी का काम है. एलजेपी और आरएलएसपी से जेडीयू को कुछ भी लेना-देना नहीं है.