/क्या अब एक ‘बिहारी’ के भरोसे ‘मराठी मानुष’ की लड़ाई?

क्या अब एक ‘बिहारी’ के भरोसे ‘मराठी मानुष’ की लड़ाई?

दिल्ली। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ‘कमांडेंट’ प्रशांत किशोर (Prashant kishor) का किसी मिलना भी राष्ट्रीय सुर्खियां बन जाता है. प्रशांत किशोर की शख्सियत ही कुछ ऐसी रही है. चुनावी रणनीतिकार और जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने मुंबई में शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे से मुलाकात की. अब मुलाकात के मायने निकाले जा रहे हैं.


उद्धव-प्रशांत की मुलाकात


हालांकि इस मुलाकात के बाद प्रशांत किशोर ने अपने ट्वीट में कहा कि एनडीए के हिस्से के तौर पर हम आपके साथ मिलकर महाराष्ट्र में आगामी लोकसभा चुनाव में और उसके बाद भी जीत सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करेंगे.

महाराष्ट्र में बीजेपी और शिव सेना के तल्ख रिश्तों के बीच प्रशांत किशोर (Prashant kishor) का उद्धव ठाकरे से मिलना चर्चा का विषय बन गया है. सियासी पंडित ऐसा अनुमान लगा रहे हैं कि एनडीए के सहयोगी पार्टियां अपने प्रभावकारी दबाव समूह के तौर पर आगे की रणनीति पर काम कर रही है. प्रशांत किशोर की उद्धव ठाकरे से मुलाकात उसी रणनीति का एक हिस्सा हो सकता है.


अब शिवसेना के खेवनहार?


बैठक में मौजूद पार्टी सांसदों की माने तो प्रशांत किशोर (Prashant kishor) ने आगामी चुनावों में शिव सेना ठीक उसी तरह मदद करने का प्रस्ताव दिया जैसा की उन्होंने 2014 के चुनाव में बीजेपी को की थी. प्रशांत किशोर (Prashant kishor) ने 2013 में नरेंद्र मोदी के साथ युवाओं को जोड़ने के लिए सिटीडन फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस नाम का कार्यक्रम चलाया था. इस अभियान की वजह से आईआईटी, आईआईएम और दूसरे विश्वविद्यालयों के युवा मोदी के चुनावी अभियान में जुड़ गए थे. 2015 में उन्होंने बिहार में नीतीश कुमार के लिए काम किया और कुछ वक्त के लिए कांग्रेस के साथ भी उन्होंने काम किया.


जेडीयू में नंबर-2 की हैसियत


बैठक के बार में बताया जा रहा है कि प्रशांत किशोर (Prashant kishor) महाराष्ट्र में शिवसेना के चुनावी अभियान तक सीमित रहेंगे. शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि प्रशांत किशोर (Prashant kishor) की उद्धव ठाकरे से मुलाकात किसी राजनेता तौर पर नहीं थी. यह एक शिष्टाचार मुलाकात थी और इसके राजनीतिक मायने नहीं निकाले जाने चाहिए. सितंबर 2018 में प्रशांत किशोर (Prashant kishor) को नीतीश कुमार ने जेडीयू में शामिल कराया और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त कर दिया. जेडीयू में प्रशांत किशोर (Prashant kishor) की हैसियत नंबर दो की मानी जाती है.