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promises made to end violent bodoland movement read full agreement

अमित शाह का मास्टर स्ट्रोक, इन वादों के बूते खत्म हुआ चार दशक पुराना बोडोलैंड आंदोलन

दिल्ली। नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (NDFB) और ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (ABSU) के सभी गुटों के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। दशकों से चली आ रही ब्रू रियांग जनजाति की समस्या सुलझाने के बाद, मोदी सरकार ने बोडोलैंड की मांग को खत्म करने वाला अहम समझौता किया। इसके तहत अब असम का विभाजन नहीं होगा। साथ ही हिंसा में शामिल रहे सभी बोडो उग्रवादी आत्मसमर्पण करेंगे ।

NDFB और ABSU से समझौता

गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में हुए इस समझौते के मुताबिक अब अलग बोडो लैंड की मांग नहीं होगी। नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (NDFB) और ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (ABSU) के सभी गुटों के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। ये समझौता पूर्वोत्तर में अलगाववाद को खत्म करने की कोशिश में बड़ी कामयाबी है। गृह मंत्री अमित शाह ने असम और बोडो के लिए इस संधि को एक स्वर्णिम दस्तावेज़ करार दिया है।

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गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में शांति के रास्ते विवादों को सुलझाने के संकेत दिए। उसका ही असर अगले दिन दशकों पुराने बोडोलैंड विवाद के खात्मे के रूप में सामने आया।

समझौते की खास बातें

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में केंद्र सरकार, असम सरकार और NDFB के प्रतिनिधियों के बीच असम समझौता 2020 पर हस्‍ताक्षर हुए

समझौते के तहत केंद्र सरकार बोडो आंदोलन से जुड़े लोगों को आर्थिक मदद देगी

पिछले 27 साल में ये तीसरा ‘असम समझौता’ है

इस समझौते के बाद अब असम के विभाजन की बात नहीं होगी

इस समझौते में 4 बड़े बोडो संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए

बोडो समझौते के तहत NDFB के 1 हजार 550 सदस्य 30 जनवरी को आत्‍मसमर्पण कर देंगे

NDFB के बैनर तले अलग राज्य की मांग को लेकर 1990 के दशक से हिंसक आंदोलन चल रहा था

बोडो आंदोलन में हुई हिंसा में अबतक 2 हजार 823 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं

नॉर्थ-ईस्ट के लिए बेहद अहम

आपको बता दें कि पिछले एक महीने में मोदी सरकार ने पूर्वोत्तर समस्या से जुड़े तीन बड़े और ऐतिहासिक समझौते किए हैं। बोडो समझौते से पहले त्रिपुरा में 80 सशस्त्र आतंकियों का समर्पण और मिजोरम-त्रिपुरा के बीच ब्रू रियांग शरणार्थियों को स्थायी निवास देना शामिल है।

पीएम मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में ब्रू शरणार्थियों की दशकों से चली आ रही समस्या का जिक्र भी किया था। दरअसल मोदी सरकार अपने पहले कार्यकाल से ही नॉर्थ ईस्ट को मुख्यधारा में जोड़ने में लगी है। सरकार की कोशिशों को असर लगातार जमीन पर दिख भी रहा है।