दिल्ली। चंद्रबाबू नायडू और ममता बनर्जी को किससे डर हैं, सीबीआई से या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से? अगर कुछ गड़बड़ नहीं है तो किसी का भी सीबीआई क्या बिगाड़ लेगी? मगर इनको डर है कि कुछ गड़बड़ न हो तब भी सीबीआई बहुत कुछ बिगाड़ सकती है. ये डर सिर्फ चंद्रबाबू नायडू और ममता बनर्जी का ही नहीं है बल्कि इसका खौफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी हो सकता है. क्योंकि सीबीआई निदेशक को किसी मामले की खोजबीन के लिए किसी से परमिशन की जरुरत नहीं होती है.
‘सामान्य रजामंदी’ कानून वापस
आंध्र प्रदेश के बाद पश्चिम बंगाल की सरकार ने सीबीआई को राज्य में छापे मारने या जांच करने के लिए दी गई ‘सामान्य रजामंदी’ शुक्रवार को वापस ले ली. राज्य सचिवालय के एक बड़े अधिकारी ने यह जानकारी दी. पश्चिम बंगाल सरकार से ठीक पहले आंध्र प्रदेश की सरकार ने यही कदम उठाया था. आंध्र प्रदेश सरकार की घोषणा के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मुद्दे पर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को अपना समर्थन जताया था. उन्होंने कहा कि चंद्रबाबू नायडू ने बिल्कुल सही किया. बीजेपी अपने राजनीतिक हितों और प्रतिशोध के लिए सीबीआई और दूसरे एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है.
बिना परमिशन के जांच नहीं
1989 में पश्चिम बंगाल की तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार ने सीबीआई को ‘सामान्य रजामंदी’ दी थी. मगर अब सीबीआई को अदालत के आदेश के अलावा अन्य मामलों में किसी तरह की जांच करने के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेनी होगी. सीबीआई ‘दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान’ नियम के तहत काम करती है. आंध्र प्रदेश का कहना है कि सहमति वापसी लेने की वजह देश की प्रमुख जांच एजेंसी के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ लगे आरोप हैं. हालांकि सीबीआई केंद्र सरकार के अधिकारियों के खिलाफ बिना परमिशन के जांच कर सकती है.
दुर्भावनापूर्व कवायद- बीजेपी
आंध्र सरकार के इस फैसले को मोदी सरकार और मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के बीच टकराव और बढ़ने के तौर पर देखा जा रहा है. नायडू 2019 लोकसभा चुनावों में बीजेपी से मुकाबले के लिए गैर-बीजेपी दलों का मोर्चा बनाने की पुरजोर कोशिशें कर रहे हैं. उधर, बीजेपी ने आंध्र सरकार के फैसले को भ्रष्टाचार, वित्तीय गड़बड़ियों और दूसरे आपराधिक कृत्यों को बचाने की दुर्भावनापूर्ण कवायद कहा. बीजेपी सांसद जीवीएल नरसिम्हा ने कहा कि राज्य सरकार ने CBI में हालिया घटनाक्रम का हवाला कमजोर बहाने के तौर पर किया है. उनकी मंशा भ्रष्टों को बचाने और भ्रष्टाचार और आपराधिक मामलों में शामिल लोगों और संगठनों को राजनीतिक संरक्षण देने की है.
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