दिल्ली। अमेरिका और यूरोप के कई देशों में गायों को चारे में गायों, सूअरों, भेड़ों का मांस और खून मिलाया जाता है. गायें खाती हैं. फिर गाय के दूध से कई तरह के मिल्क प्रोडक्ट बनाया जाता है. गायों को दी जाने वाली इस चारे को ‘ब्लड मील’ (Blood meal) कहा जाता है. अमेरिका चाहता है कि इस तरह के गायों की दूध से बने मिल्क प्रोडक्ट को भारत बेचने की इजाजत दे.
मांसाहारी गाय को लेकर नहीं बनी बात
भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि ‘ब्लड मील’ (Blood meal) खानेवाली गायों से बने प्रोडक्ट को वो अपने देश में बेचने की इजाजत नहीं देगा. क्योंकि ये हिन्दुस्तानियों के आस्था और संस्कृति का मामला है. भारत में गायों की पूजा की जाती है. दूध और दूध से बने सामान पूजा में इस्तेमाल होते हैं. भारत ने अमेरिका का साफ-साफ मैसेज दे दिया है कि ”सांस्कृतिक और धार्मिक संवेदाओं से किसी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता”. हाल ही में अमेरिका ने भारत को व्यापार में तरजीह देने वाली सूची से निकाल दिया है. माना जा रहा है कि भारत का अमेरीकी डेयरी प्रोडक्ट अपने बाजार में बेचने से मना करना, डोनल्ड ट्रंप को नागवार गुजरा और उन्होंने भारत को सबक सीखाने के लिए लिस्ट से बाहर कर दिया.
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इसके बाद डोनल्ड ट्रंप ने एक बयान जारी कर कहा था कि ”भारत सरकार के साथ काफी चर्चा के बाद मैं यह कदम इसलिए उठा रहा हूं क्योंकि मैं इस बात से संतुष्ट हूं कि भारत ने अब तक अमेरिका को इस बात को भरोसा नहीं दिया कि वो अपने बाजारों तक अमेरिका को सामान और उचित पहुंच देगा”. अमेरिका के फेवर्ड लिस्ट में भारत के होने से बिना आयात शुल्क दिए 560 करोड़ डॉलर का कारोबार होता था. मगर डेयरी प्रोडक्ट को लेकर अमेरिका और भारत में बात बिगड़ गई.
सांस्कृतिक-धार्मिक भावनाओं की बात
भारत सरकार ने अमेरिका के सामने साफ-साफ कह दिया कि ”ब्लड मील (Blood meal) की खुराक वाले मवेशी का उत्पाद भारत में नहीं बिक सकता. अगर भारत में मिल्क प्रोडक्ट बेचना है तो उन जानवरों का बेचें जिन्हें कभी ब्लड मील (Blood meal) न खिलाया गया हो. यानी वो मांसाहारी न हो. भारत की ये शर्त सांस्कृतिक और धार्मिक भावनाओं से जुड़ी है और इस कंडिशन पर समझौता संभव नहीं है”.
‘ब्लड मील’ क्या होता है
मीट पैकिंग कारोबार का बाई-प्रोडक्ट ‘ब्लड मील’ (Blood meal) होता है. इसे जानवरों को खिलाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. जनवरों को मारते वक्त (खासकर गोवंश) उनका खून जमा कर उसे सूखाकर (हीटर से) एक खास तरह का चारा बनाया जाता है. इसे ही ब्लड मील (Blood meal) कहा जाता है. दुधारु जानवरों को मोटा-ताजा बनाए रखने और उनसे ज्यादा दूध मिले इसके लिए नियमित तौर पर चारे में ‘ब्लड मील’ (Blood meal) दिया जाता है. दुधारु जानवरों के अलावा मुर्गियों, दूसरे पालतू जानवरों, झींगों और मछलियों को भी ‘ब्लड मील’ (Blood meal) दिया जाता है. अमेरिका में ‘ब्लड मील’ (Blood meal) का इस्तेमाल खेती में जमकर किया जाता है. इसका इस्तेमाल खाद के तौर पर भी किया जाता है. इससे जमीन का नाइट्रोजन बढ़ाने में मदद मिलती है.
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