पटना। प्रशांत किशोर ने ‘बात बिहार की’ (Baat Bihar Ki) नाम से कैंपेन की शुरू करने का ऐलान किया. इसकी शुरुआत 20 फरवरी से होगी. उन्होंने कहा कि उनके पास बिहार के अलग-अलग समाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से आने वाले सवा लाख युवाओं का डेटाबेस है. वो उसे 10 लाख करने पर काम करेंगे. फिलहाल वो किसी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़ेंगे.
Baat Bihar Ki कैंपेन चलाएंगे
पॉलिटिकल मैनेजर प्रशांत किशोर ने कहा कि मैं बिहार में नई पार्टी बनाने नहीं आया हूं. बल्कि पूरे बिहार में एक कैंपेन चलाऊंगा, ‘बात बिहार की’ (Baat Bihar Ki) नाम से शुरू होने वाले इस कैंपेन के जरिए अगले 100 दिनों तक मैं बिहार में घूमूंगा. बिहार में एक सशक्त नेता चाहते हैं, जो बिहार की बात कहने के लिए किसी का पिछलग्गू न बने. मैं हर पंचायत और गांव में जाउंगा ताकि बिहार की विकास के लिए कुछ कर सकूं. बिहार का कितना विकास हुआ बता सकूं.
पॉलीटिकल मैनेजर प्रशांत किशोर ने आज बड़ा ऐलान किया. उन्होंने कहा कि मैं बिहार में नई पार्टी बनाने नहीं आया हूं, बल्कि पूरे बिहार में एक कैंपेन (Baat Bihar Ki) चलाऊंगा. ‘बात बिहार की’ नाम से शुरू होने वाले इस कैंपेन के जरिए अगले 100 दिनों तक मैं बिहार घूमूंगा. बिहार एक सशक्त नेता चाहते हैं, जो बिहार की बात कहने के लिए किसी को पिछलग्गू न बने.
‘पितातुल्य नीतीश जी को झूठा नहीं कहूंगा’
कैंपेन (Baat Bihar Ki) के बार में प्रशांत किशोर ने बहुत नहीं बताया, मगर उके टारगेट रहे नीतीश कुमार. उन्होंने कहा कि नीतीश जी ने कहा था कि अमित शाह के कहने पर पीके को पार्टी में लिया था. मैं किसी का एजेंट नहीं हूं. नीतीश जी ने झूठ का सहारा लिया. मैं नीतीश जी के कहे को झूठ नहीं कहूंगा. अगर नीतीश जी कह रहे हैं कि अमित शाह के कहने पर पार्टी में लिया तो मान लीजिए. मैं पितातुल्य नीतीश कुमार को निराश नहीं करूंगा.
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जनता दल यूनाइटेड से अलग होने के बाद पहली बार पटना में मीडिया से मुखातिब हुए पूर्व उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार को पितातुल्य बताया. उन्होंने कहा कि वो नीतीश के फैसले को सहृदय स्वीकार करते हैं. उस पर कोई टीका-टिप्पणी नहीं करेंगे. इस दौरान नीतीश कुमार की बीजेपी से गठबंधन पर सवाल उठाए.
‘गांधी-गोडसे एक साथ नहीं चल सकते’
पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रशांत ने कहा कि नीतीश जी से मेरा संबंध विशुद्ध राजनीतिक रहा है. दिसंबर 2014 में पहली बार मिले थे. जिस तरह नीतीश जी ने साथ रखा, वो किसी बेटे की तरह ही रखा. उन्होंने उसी तरह स्नेह दिया. जब मैं उनके दल में था, तब भी और उससे पहले भी, मैंने भी उन्हें पितातुल्य माना.
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