दिल्ली। दूसरों को बातों में बातों में पाकिस्तान भेजने वाले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (Giriraj singh) महज चुनाव क्षेत्र बदले जाने से इतने खफा है कि प्रदेश बीजेपी नेतृत्व पर ही सवाल उठा दिया. उन्होंने खुलकर किसी का नाम तो नहीं लिया मगर बिहार बीजेपी को आजकल उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी, प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय और प्रभारी भूपेंद्र यादव चला रहे हैं. इस तिकड़ी में कोई भी भूमिहार जाति से नहीं है. इन तीनों पर नीतीश कुमार का प्रभाव भी ठीकठाक है. शायद इस बात का आभास गिरिराज सिंह को भी है.
ललन सिंह के जरिए ‘खेल’ हो गया?
खुद को भूमिहार जाति का नेता के तौर पर स्थापित करने की जुगत में लगे गिरिराज सिंह (Giriraj singh) के साथ उनके ही जाति के दूसरे नेता, नीतीश कुमार के खाशम-खास और बिहार सरकार में मंत्री यानी ललन सिंह के जरिए ‘खेल’ हो गया. हालांकि गिरिराज सिंह (Giriraj singh) ने ललन सिंह का नाम नहीं लिया. बिहार में गिरिराज सिंह एकलौते केंद्रीय मंत्री हैं जिनका लोकसभा सीट बिना उनकी मर्जी के बदल दिया गया. जब 2014 में खुद गिरिराज सिंह बेगूसराय सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे तो उनको नवादा सीट दी गई. जहां से फिलहाल वो सांसद हैं. अब वो नवादा को छोड़ना नहीं चाह रहे तो बेगूसराय भेज दिया गया.
सियासी ‘चक्रव्यूह’ में फंस गए गिरिराज?
इस पूरे सियासी मायाजाल की शुरुआत ही ललन सिंह से होती है. ललन सिंह की चाहत मुंगेर से चुनाव लड़ने की थी, उनकी इच्छा को पूरा करने के लिए जेडीयू ने पहले लोकजन शक्ति पार्टी से मुंगेर सीट को खाली कराया गया. फिर मुंगेर से सांसद वीणा देवी (बाहुबली पूर्व सांसद सूरजभान सिंह की पत्नी) को काफी मान-मनौव्वल के बाद नवादा भेजा गया. अब नवादा से सांसद गिरिराज सिंह (Giriraj singh) को बेगूसराय का सीट दिया गया.
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मुंगेर, नवादा और बेगूसराय सीट पर भूमिहारों की तादाद ठीकठाक है. अगर ‘बारगेन’ करनेवाले चाहते तो सीधे वीणा देवी को बेगूसराय सीट दे सकते थे. मगर उन्होंने नवादा से गिरिराज सिंह (Giriraj singh) को बेदखल कर दिया. इसी बात का दुख गिरिराज सिंह को है, जिसे लेकर वो प्रदेश नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं. स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने का आरोप लगा रहे हैं. उन्होंने सवाल उठाया है कि लोकसभा सीट बदलने से पहले उन्हें भरोसे में क्यों नहीं लिया गया?
राज्य इकाई की ‘राजनीति’ के शिकार?
साल 2014 में गिरिराज सिंह (Giriraj singh) ने बिहार की नवादा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. बाद में उन्हें केंद्र सरकार में लघु और सूक्ष्म उद्योग मंत्री बनाया गया. लेकिन इस बार पार्टी ने उन्हें नवादा की जगह बेगूसराय सीट से उम्मीदवार बनाया है. बिहार में भारतीय जनता पार्टी, नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड और रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रही है.
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गिरिराज सिंह (Giriraj singh) के सीट बदलने को पार्टी के प्रदेश यूनिट में चली आ रही राजनीति से भी जोड़कर देखा जा रहा है. 2014 में नीतीश कुमार के एनडीए से हटने के बाद गिरिराज सिंह (Giriraj singh) उन गिने-चुने नेताओं में थे, जिन्होंने नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोला था. 2019 में हालात बदल गए अब नीतीश कुमार एनडीए के पार्टनर हैं. सुशील मोदी और भूपेंद्र यादव से उनके अच्छे ताल्लुकात हैं.