दिल्ली। मध्य प्रदेश का ‘किला’ फतह करने के लिए कांग्रेस और बीजेपी जोर-आजमाइश कर रही है. इन सबके बीच ग्वालियर में सिंधिया राज परिवार की महरानी स्वर्गीय विजयाराजे सिंधिया का सौवां जन्मदिन मना. विजयाराजे की दोनों बेटियां वसुंधरा राजे सिंधिया और यशोधरा राजे सिंधिया ने ट्विटर पर अपनी मां की पुरानी तस्वीरों को साझा करते हुए श्रद्धांजलि दी. हालांकि उनके पोते और कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस मौके पर कोई ट्वीट नहीं किया.
विजयाराजे सिंधिया का सौवां जन्मदिन
ग्वालियर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विजयाराजे सिंधिया का जन्मशती समारोह का शुभारंभ किया. ग्वालियर में विजयाराजे सिंधिया का सौवां जन्मदिन मना. इस मौके पर कमलशक्ति दल की मैराथन दौड़ को हरी झंडी दिखाई गई. ये मैराथन दौड़ दिल्ली तक चलेगी. चार राज्यों से होकर गुजरेगी, इसमें राजस्थान भी शामिल है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर मध्य प्रदेश और राजस्थान चुनाव के दौरान बीजेपी को विजयाराजे सिंधिया की याद क्यों आ रही है?
एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए राजनीति में महिलाओं को आगे लाने में राजमाता जी का योगदान अद्वितीय था। वे राजपथ से निकलकर लोकपथ में आने वाली देश की पहली ऐसी महिला थीं, जिन्होंने महिला मोर्चा का गठन कर संगठन व देश के विकास को एक नई दिशा प्रदान की।#Rajmata100 pic.twitter.com/TBZhSkN4BB
— Vasundhara Raje (@VasundharaBJP) October 12, 2018
वैसे तो विजयाराजे सिंधिया ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस से की थी. साठ के दशक में मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारका प्रसाद मिश्र से मतभेद के बाद पार्टी छोड़ दी. 1967 में विजयाराजे ने द्वारका प्रसाद मिश्र की सरकार को गिराकर गोविंद नारायण सिंह के नेतृत्व में संविदा सरकार बनाई थी. हालांकि ये सरकार 2 साल से कम चली. तब इंदिरा गांधी ने विजयाराजे को कांग्रेस में लाने की कई कोशिशें की मगर विजयाराजे टस से मस नहीं हुईं. बाद में उनके बेटे माधवराव सिंधिया कांग्रेस कांग्रेस में शामिल हो गए. आजीवन कांग्रेस में रहे, अब उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के बड़े नेता हैं. मगर विजयाराजे सिंधिया का सौवां जन्मदिन बीजेपी बड़े ही जोरशोर से मना रही है.
राजमाता ने पार्टी के लिए बचे थे गहने
विजयाराजे सिंधिया का सौवां जन्मदिन मनाने के लिए बीजेपी के पास कई वजहें हैं. विजयाराजे सिंधिया बीजेपी की संस्थापक सदस्यों में से थीं, पार्टी चलाने के लिए विजयाराजे ने अपने गहने तक बेच दिए थे. इसका खुलासा उनकी बेटी और एमपी सरकार में मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने अटेर में एक चुनावी सभा के दौरान किया था. पिछले दो साल से वो बीजेपी में अपनी मां की उपेक्षा के खिलाफ लड़ रही थीं. दो महीने पहले प्रदेश बीजेपी ऑफिस में विजयाराजे की तस्वीर नहीं होने पर यशोधरा राजे ने कार्यसमिति की बैठक को छोड़ दिया था. बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विजयाराजे सिंधिया की जन्मशती मनाने का एलान भोपाल यात्रा के दौरान किया.
माधवराव के कांग्रेस में जाने से दुखी थीं
मध्य प्रदेश में विजयाराजे सिंधिया की पहचान राजमाता के तौर पर ही है. विजयाराजे सिंधिया का सौवां जन्मदिन मनाया जा रहा है. मगर जनसंघ और बीजेपी से जुड़े नेता भी उन्हें राजमाता नाम से ही संबोधित करते हैं. माधवराव सिंधिया उनके इकलौते बेटे थे. तीन में से 2 बेटियां वसुंधरा राजे सिंधिया और यशोधरा राजे सिंधिया भारतीय जनता पार्टी की नेता हैं. माधवराव सिंधिया ने लोकसभा का पहला चुनाव जनसंघ से ही लड़ा था. इमरजेंसी के बाद वो गुना लोकसभा सीट से निर्दलीय जीते, बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए.
For Karyakartas of the Jana Sangh and BJP, no words can do justice to Rajmata Vijaya Raje Scindia’s monumental efforts to build these parties.
She resisted the Emergency tooth and nail, overcoming all forms of intimidation, bullying and dirty tricks of those in power then. pic.twitter.com/ob1NjMzo7E
— Narendra Modi (@narendramodi) October 12, 2018
सिंधिया परिवार का दबदबा आज भी ग्वालियर और चंबल संभाग की 34 सीटों के अलावा मालवा की दर्जनभर से ज्यादा सीटों पर है. मध्य प्रदेश में सिंधिया परिवार का मतलब अब ज्योतिरादित्य सिंधिया ज्यादा हो गया है. शायद यही वजह है कि बीजेपी ने विजयाराजे सिंधिया के नाम का इस्तेमाल कर रही है. विजयाराजे सिंधिया का सौवां जन्मदिन मना रही है. ग्वालियर में जिस वक्त मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जन्मशती समारोह कार्यक्रम की शुरुआत कर रहे थे, उस वक्त ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर में ही कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के कार्यक्रम को अंतिम रूप दे रहे थे.