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आलोक वर्मा को नहीं मिली तत्काल राहत, 2 हफ्ते में जांच पूरी करे CVC

CBI घूसकांड: आलोक वर्मा को नहीं मिली तत्काल राहत, 2 हफ्ते में जांच पूरी करे CVC

आलोक वर्मा को नहीं मिली तत्काल राहत, 2 हफ्ते में जांच पूरी करे CVC

दिल्ली। देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी की लड़ाई दफ्तरों से होते सड़क के जरिए सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा. राजनीति भी जमकर हो रही है. राहुल गांधी लगातार अटैकिंग मोड में हैं. इन सब के बीच चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि वो इस मामले को देखेंगे. आलोक वर्मा को तत्काल राहत नहीं मिली.

आलोक वर्मा को तत्काल राहत नहीं

चीफ जस्टिस ने सीवीसी से अपनी जांच अगले 2 हफ्ते में पूरी करने को कहा है. ये जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज एके पटनायक की निगरानी में होगी. पूरे मामले में आलोक वर्मा को तत्काल राहत नहीं मिली. इस मामले पर अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस स्थिति में बस इस मामले पर सुनवाई होगी कि ये प्रथम दृष्ट्या केस बनता है या नहीं. अंतरिम डायरेक्टर नागेश्वर राव की नियुक्ति पर चीफ जस्टिस ने कहा कि वो कोई नीतिगत फैसला नहीं कर सकते हैं. अब उन्होंने जितने फैसले लिए हैं, उसकी फाइल भी सुप्रीम कोर्ट ने तलब की है. नागेश्वर राव सिर्फ रूटीन कामकाज देखेंगे.

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आलोक वर्मा ने क्या कहा?

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें इस मामले के लिए 3 हफ्ते का समय दिया जाए. राकेश अस्थाना की तरफ से सुप्रीम कोर्ट पहुंचे मुकुल रोहतगी को सीजेआई ने कहा कि आपको एक नई याचिका दायर करनी होगी. आलोक वर्मा ने अपनी याचिका में उनके सीबीआई के डायरेक्टर पद से हटाने का विरोध किया है. मगर सुप्रीम कोर्ट से आलोक वर्मा को तत्काल राहत नहीं मिली. वर्मा ने अपनी याचिका में कहा है कि केंद्र सरकार सीबीआई की स्वायत्ता को संकट में डाल रही है और उसके कामकाज में दखल दे रही है.

क्या है पूरा मामला?

गौरतलब है कि सीबीआई में सामने आए घूसकांड के बाद सीवीसी की सिफारिश पर केंद्र सरकार ने डायरेक्टर आलोक वर्मा, स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया था. विपक्षी पार्टियां आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने का विरोध कर रही है. इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई मगर आलोक वर्मा को तत्काल राहत नहीं मिली. इन विवादों के बीच घूसकांड मामला अब जासूसी तक पहुंचा. कुछ लोगों की गिरफ्तारियां भी हुई. ज्वाइंट डायरेक्टर नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बना दिया गया. चार्ज लेने के साथ ही नागेश्वर राव ने मामले से जुड़े 13 दूसरे अफसरों का ट्रांसफर कर दिया.

अस्थााना का वर्मा पर आरोप

CBI के भीतर ‘दंगल’ की शुरुआत वैसे को काफी पहले हो चुकी थी. दिल्ली हाईकोर्ट से राहत मिलने से पहले CBI के विशेष निदेशक रहे राकेश अस्थाना ने CBI के डायरेक्टर आलोक वर्मा पर करोड़ों रुपए की रिश्वत की शिकायती चिट्ठी कैबिनेट सेक्रेटरी को भेजी थी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस चिट्ठी में कहा गया था कि सतीश बाबू से 2 करोड़ रुपए लिए गए हैं. वर्मा के खिलाफ अस्थाना ने आरोप लगाया है कि उन्होंने 2जी और कोयला घोटाले में शामिल 2 लोगों को सेंट किट्स की नागरिकता लेने से रोकने के लिए कुछ नहीं किया. CBI निदेशक पर हरियाणा में एक जमीन सौदे में गड़बड़ी का भी आरोप अस्थाना ने लगाया था.

कौन हैं आलोक वर्मा?

CBI के निदेशक रहने से पहले आलोक वर्मा कई बड़े ओहदों पर रह चुके हैं. CBI डायरेक्टर बनने से पहले आलोक वर्मा दिल्ली के पुलिस कमिश्नर थे. दिल्ली में जेलों के डीजीपी, मिजोरम के डीजीपी, पुडुचेरी के डीजीपी और अंडमान-निकोबार के आईजी भी रह चुके हैं. आलोक वर्मा CBI के पहले निदेशक हैं जिनके पास देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी में काम करने का कोई अनुभव नहीं है. फरवरी 2017 में आलोक वर्मा को दिल्ली के पुलिस कमिश्नर से सीधे CBI का निदेशक बनाया गया. माना जा रहा है कि CBI के भीतर ‘दंगल’ की जड़ में सबसे बड़ी वजह ये भी है.

कौन हैं राकेश अस्थना?

आज भले ही CBI के भीतर ‘दंगल’ की वजह से राकेश अस्थाना पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. CBI के स्पेशल डायरेक्टर रहे राकेश अस्थाना को CBI में काम करने का लंबा अनुभव है. झारखंड के रांची से आनेवाले राकेश अस्थाना 1984 बैच के गुजरात कैडर के आईपीएस ऑफिसर हैं. CBI में स्पेशल डायरेक्टर बनने से पहले CBI में कई भूमिकाओं में काम कर चुके हैं. अस्थाना ने कई अहम मामलों की जांच की है. इनमें बिहार का सबसे चर्चित चारा घोटाला भी शामिल है. इसी मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद जेल में हैं. लालू प्रसाद से लगातार 6 घंटे तक पूछताछ करने पर अस्थाना चर्चा में आए थे. गोधरा में ट्रेन जलाने की SIT जांच भी अस्थाना ने ही की थी. अहमदाबाद बम धमाका और आसाराम बापू के खिलाफ जांच अस्थाना ने ही की थी.