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दिल्ली चुनाव में दिखेगा बिहार का ट्रेलर, आखिर सबको क्यों चाहिए बिहारी वोटर?

दिल्ली। दिल्ली चुनाव (Delhi Election) में बिहारी राजनीति का रंग चढ़ने लगा है. बिहार की दो बड़ी पार्टियां, नीतीश कुमार की जनता दल यूनाईटेड और लालू प्रसाद की राष्ट्रीय जनता दल का दम दिल्ली में दिखेगा. कांग्रेस ने आरजेडी को 4 सीटें दी हैं तो जेडीयू के लिए बीजेपी ने 2 सीटें छोड़ी है. बिहार से बाहर बीजेपी-जेडीयू का पहला गठबंधन है.

Delhi Election मगर बिहार स्टाइल में

वैसे भी दिल्ली चुनाव (Delhi Election) पर बिहार के नेताओं का दबदबा पहले से हैं. दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी खुद बिहार के कैमूर के रहने वाले हैं और दिल्ली उत्तर-पूर्व के सांसद हैं. जबकि दिल्ली कांग्रेस में नंबर 2 की हैसियत रखने वाले पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद दिल्ली कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के प्रमुख हैं. कीर्ति भी बिहार के पूर्णिया जिले के रहने वाले हैं. इसका मतलब ये हुआ कि दिल्ली में भले ही चुनाव हो रहे हैं, मगर इसका रंग पूरी तरह बिहारी है. जेडीयू से बीजेपी की और आरजेडी से कांग्रेस का समझौता होने के बाद बिहारीपन का तड़का अब पूरे दिल्ली में देखने को मिलेगा.

दिल्ली में 30 फीसदी पूर्वांचली वोटर

दिल्ली के 70 विधानसभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव में 1 करोड़ 38 लाख वोटर निर्णायक भूमिका में होंगे. दिल्ली (Delhi Election) की सियासत में पूर्वांचली 30 फीसदी वोटर करीब 15 से 20 सीटों को प्रभावित करते हैं. ऐसे में कांग्रेस-आरजडी और जेडीयू-बीजेपी ने साथ मिलकर चुनाव लड़ने की रणनीति बनाई. जेडीयू ने दिल्ली चुनाव के लिए अपने दोनों उम्मीदवारों के नामों का ऐलान भी कर दिया. बुराड़ी विधानसभा सीट पर शैलेंद्र कुमार को उम्मीदवार बनाया गया है तो संगम विहार से डॉक्टर एचसीएल गुप्ता को टिकट मिला है. इन दोनों ही सीटों पर पूर्वांचल के मतदाताओं का अच्छा असर है.

जेडीयू को 2 और आरजेडी को 4 सीट

आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि दिल्ली चुनाव (Delhi Election) में उनकी पार्टी 4 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. कांग्रेस के साथ उनका गठबंधन हुआ है और समझौते के तहत पार्टी बुराड़ी, किराड़ी, उत्तम नगर और पालम सीट पर उम्मीदवार उतारेगी. इन इलाकों में बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश से आए लोगों की तादाद अच्छी-खासी है.

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दिल्ली में 8 फरवरी 2020 को वोटिंग है. 2015 में हुए विधानसभा चुनाव (Delhi Election) में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने 70 में 67 सीटों पर जीत दर्ज की थी. कहा जा रहा है कि दिल्ली में केजरीवाल की पार्टी अच्छी स्थिति में है. ऐसे में देखना होगा की देश की 2 बड़ी राजनीतिक पार्टियों का बिहारी नेता और बिहार के लोगों पर लगाया गया दांव कितना सही बैठता है.

दिल्ली में बिहार का ट्रेलर

वैसे बिहार में भी इसी साल विधानसभा की चुनाव है. दिल्ली (Delhi Election) के बाद बिहार विधानसभा चुनाव का एलान संभवत: अक्टूबर में होगा. यहां पर नीतीश कुमार की अगुआई में बीजेपी-जेडीयू की सरकार है. जाहिर तौर पर चुनाव भी दोनों पार्टियां साथ मिलकर नीतीश की अगुआई में लड़ेगी. अमित शाह ने इसका एलान भी कर दिया है. जबकि कांग्रेस और आरजेडी का गठबंधन है. हालांकि मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर दोनों ही पार्टियों के नेता बयानबाजी करते रहते हैं.

पलायन से वोट बैंक तक

बिहार में पलायन एक बड़ा मुद्दा रहता है. सही और बेहतर जीवन स्तर के लिए पलायन जरूरी भी है. ऐसा दुनिया के हर हिस्से में और हर समाज में होता है. मगर बिहार में अवसर कम होने की वजह से मजदूर से लेकर इंजीनियर और छात्र से लेकर शिक्षक तक पलायन करते हैं. लालू-राबड़ी का राज बिहार में करीब 15 सालों तक 1990 से 2005 तक रहा था. इस दौरान हर स्तर पर पलायन हुआ. इसे लेकर बिहार में राजनीति भी होती है. 1990 से 2005 के बीच पलायन करने वाले लोग आज दिल्ली (Delhi Election) के वोटर बन हए हैं. प्रजातंत्र में उनका महत्व बढ़ गया है. यही वजह है कि कांग्रेस और बीजेपी को बिहारी वोटरों पर दांव लगाना सुरक्षित लग रहा है.