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Janta Curfew के दिन ममता सरकार स्कूलों में आलू-चावल क्यों बंटवा रही?

दिल्ली। ममता बनर्जी को कोरोना का डर नहीं है. ‘जनता कर्फ्यू’ (Janta Curfew) के दिन को ममता बनर्जी ने स्कूलों में आलू-चावल बंटवाने का कार्यक्रम रखा है. इससे ऐसा लगता है कि ममता सरकार कोरोना को लेकर सीरियस नहीं है. हालांकि पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस के तीन मामले सामने आ चुके हैं.

Janta Curfew को फेल करना है?

पश्चिम बंगाल बीजेपी का कहना है कि ये सब ‘जनता कर्फ्यू’ (Janta Curfew) को धत्ता बताने के लिए किया जा रहा है. ये शक और गंभीर हो जाता है कि क्योंकि आलू-चावल बंटवाने का कार्यक्रम पहले 23-24 मार्च को होने वाला था लेकिन जानबूझकर इसे 22 मार्च को रीशिड्यूल किया गया. बंगाल के स्कूलों में आलू-चावल बंटवाने की वजह से स्कूलों में भारी भीड़ जुटने का अनुमान लगाया जा रहा है.

ममता बनर्जी ने ऐसा क्यों किया?

कुछ दिनों पहले ममता बनर्जी ने कहा था कि मोदी सरकार दंगों से ध्यान भटकाने के लिए कोरोना (Janta Curfew) को बढ़ा-चढ़ा कर पेश कर रही है. अब ममता सरकार के आलू-चावल बंटवाने के प्रोग्राम से संक्रमण का खतरा और बढ़ जाएगा. लगभग सभी राज्यों के स्कूल और कॉलेज 31 मार्च तक या उससे आगे तक के लिए बंद कर दिया गया है.

कई जगहों पर परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं या फिर उनकी तारीख को आगे बढ़ा दिया गया है. कई राज्यों में बिना परीक्षाएं लिए ही आठवीं क्लास तक के छात्रों के आगे की क्लास में प्रमोट कर दिया गया. बावजूद इसके पश्चिम बंगाल सरकार का ये फैसला लोगों के लिए खटक रहा है. स्कलों के सभी शिक्षकों को रविवार को उपस्थित रहने का निर्देश जारी किया गया है. इसका मतलब ये हुआ कि वहां पर ‘जनता कर्फ्यू’ (Janta Curfew) लागू नहीं होगा.

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’23-24 को होने वाला था कार्यक्रम’

बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने आरोप लगाया है कि ‘जनता कर्फ्यू’ (Janta Curfew) को नाकाम करने के लिए किया गया है. अमित मालवीय का दावा है कि पहले ये कार्यक्रम 23-24 मार्च को होने वाला था. मगर अब इसे 22 मार्च किया गया है. पश्चिम बंगाल के दूसरे नेताओं ने भी तृणमूल सरकार पर बदले की राजनीति करने का आरोप लगाया है. इससे सोशल डिस्टेंस की सलाह को भी तगड़ा झटका लगा है.