दिल्ली। इसमें कोई दो राय नहीं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra modi) के भाषणों के सामने राहुल गांधी के भाषण नहीं टिकते. नरेंद्र मोदी में जो कम्युनिकेशन स्कील हैं उसे अब तक राहुल गांधी डेवलप नहीं कर पाए हैं. हालांकि पहले से बेहतर हुए हैं लेकिन मोदी बनने में अभी समय लगेगा. आखिर इसकी वजह क्या है?
राहुल से मोदी की ट्रेनिंग बेहतर
मोदी सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी एक चीज ढूंढते नहीं हैं कि उसकी काट लेकर बीजपी के रणनीतिकार तैयार दिखते हैं. रफाल मुद्दे पर राहुल गांधी घेर ही रहे थे कि मोदी जी (Narendra modi) ‘मैं भी चौकीदार’ लेकर सामने आ गए. अब राहुल की सभाओं में ‘चौकीदार चोर है’ के नारे कम ही सुनाई दे रहे हैं. राहुल गांधी 72 हजार का स्कीम लेकर आए तो बीजेपी वाले उनसे पूछने लगे कि पैसे कहां से लाएंगे. कांग्रेस वाले इसका जवाब देते हैं तो मजाक के तौर बीजेपी के नेता (Narendra modi) लेते हैं. रही-सही कसर मीडिया वाले पूरी कर देते हैं.
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दरअसल नरेंद्र मोदी (Narendra modi) की पहली प्राथमिकता राजनीति की ट्रेनिंग रही. संघ परिवार से उनको ट्रेनिंग मिली. ट्रेनिंग के साथ-साथ पढ़ाई चलती रही. जबकि राहुल गांधी ने पहले पढ़ाई की फिर राजनीति की ट्रेनिंग ली. नरेंद्र मोदी के लिए पहली प्राथमिकता सियासत रही. जबकि राहुल गांधी के लिए पहली प्राथमिकता पढ़ाई रही.
कितना पढ़े-लिखे हैं राहुल?
राहुल ने पहले मशहूर दून स्कूल में पढ़ाई की. फिर दिल्ली के नामचीन सेंट स्टीफेंस कॉलेज में पढ़े. दिल्ली के बाद अमेरिका के हार्वड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र में दाखिला लिया. सिक्योरिटी रिजन से विंटर पार्क फ्लोरिडा के कॉलेज में एडमिशन लेना पड़ा. 1994 में इंटरनेशनल रिलेशन में ग्रेजुएशन की डिग्री ली.
बाद में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के फेमस ट्रिनिटी कॉलेज में पढ़े. 1995 में डेवलपमेंट स्टडीज में एमफिल किया. पढ़ाई के बाद सुरक्षा कारणों से नाम बदलकर राहुल गांधी ने ब्रांड स्ट्रेटजी की बड़ी कंपनी मॉनीटर ग्रुप में तीन साल तक नौकरी की. 2002 में भारत लौटे तो टैक्स कंसल्टेंसी की अपनी एक कंपनी शुरू की. 2004 में दिए हलफनामे के मुताबिक बैकॉप्स सर्विसेज लिमिटेड के 83 फीसदी शेयर राहुल गांधी के पास थे. आज भी इसमें एडिशनल डायरेक्टर के तौर पर प्रियंका गांधी का नाम है.
कितना पढ़े-लिखे हैं मोदी?
वहीं पीएम मोदी (Narendra modi) राजनीति शास्त्र में एमए फर्स्ट क्लास से पास किया है. उन्होंने गुजरात यूनिवर्सिटी से साल 1983 में एमए किया. 2 साल के इस कोर्स में मोदी के पास यूरोपियन पॉलिटिक्स, इंडियन पॉलिटिक्स एनैलेसिस और साइकोलॉजी ऑफ पॉलिटिक्स जैसे सब्जेक्ट थे. गुजरात यूनिवर्सिटी के मुताबिक मोदी (Narendra modi) को एमए के पहले साल में 400 में से 237 और दूसरे साल 400 में से 262 नंबर मिले थे. इस तरह 800 में से कुल 499 अंक मिले थे.
चुनाव में दाखिल हलफनामे के मुताबिक मोदी (Narendra modi) ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से 1978 में बीए किया था. जबकि 1967 में एसएससी किया था. मोदी की पढ़ाई में इस गैप से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्होंने पढ़ाई पर कम अपनी ट्रेनिंग पर ज्यादा ध्यान दिया था. साथ में जब-जब समय मिला पढ़ाई भी करते गए.
सियासत पर रहन-सहन का असर
पढ़ाई और ट्रेनिंग का असर दोनों के भाषणों में दिखता है. राहुल गांधी साफ-सपाट बोलते हैं जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra modi) एक मंझे हुए राजनेता के तौर समां बांध देते हैं. ऐसा लगता है कि इसके बाद तो कुछ बचा ही नहीं. गांधी फैमिली के होने की वजह से राहुल गांधी को बचपन से ही कई तरह के बंदिशों में बड़ा होना पड़ा. जबकि नरेंद्र मोदी (Narendra modi) के साथ ऐसी कोई बात नहीं रही. दोनों के लालन-पालन का अंतर आज भी दिखता है. नरेंद्र मोदी आम आदमी के नब्ज को ज्यादा समझते हैं. जबकि राहुल गांधी को हर चीज के लिए अपनी कोर टीम पर ज्यादा निर्भर रहना पड़ता है.
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