मध्य प्रदेश में कांग्रेस से बगावत कर विधायक बने ये चारों नहीं आते साथ तो खतरे में रहती सरकार!
दिल्ली। मध्यप्रदेश चुनाव में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला मगर कांग्रेस (Congress) सरकार बनाने जा रही है. कांग्रेस को 114 तो भाजपा 109 सीटों पर जीत मिली। जबकि 230 विधानसभा सीटों वाली सदन में सरकार बनाने के लिए 116 विधायक होने चाहिए। कांग्रेस इस आंकड़े से 2 पीछे रह गई थी। वहीं, बसपा को 2, सपा को 1 और निर्दलीय चार विधायक थे। ये सभी कांग्रेस (Congress) को समर्थन दे रहे हैं.
बागियों ने छिन ली सत्ता की चाबी
मायावती और बसपा ने तो भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस (Congress) को समर्थन देने का ऐलान करने दिया है। इनके समर्थन से कांग्रेस (Congress) मध्यप्रदेश में सरकार तो बना लेगी। लेकिन इनसे ज्यादा जरूरी कांग्रेस के लिए इन चार विधायकों का समर्थन हासिल करना जरूरी था जो निर्दलीय जीत कर आए। निर्दलीय जीत कर आने वाले सभी वैसे उम्मीदवार हैं, जिन्हें कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया था और नाराज होकर पार्टी छोड़ दिया। फिर निर्दलीय चुनाव लड़े और विधायक बने।
कांग्रेस के चारों बागियों को जानिए
ठाकुर सुरेंद्र सिंह नवल सिंह जिन्हें कांग्रेस (Congress) ने बुरहानपुर से टिकट देने से मना कर दिया था। इसके बाद इन्होंने पार्टी का साथ छोड़ दिया और निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया। इस सीट पर सुरेंद्र सिंह ने शिवराज सरकार में मंत्री अर्चना चिटनिस को पांच हजार से ज्यादा वोटों से हराया। अब बगावत छोड़ सरकार बनाने में कांग्रेस का साथ दिया है।
विक्रम सिंह राणा जिन्होंने कांग्रेस (Congress) की सरकार बनाने में अहम रोल प्ले किया है। पार्टी से नाराज राणा ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ा। उन्होंने न सिर्फ कांग्रेस (Congress) बल्कि बीजेपी को सुसनेर सीट पर धूल चटा दी। राणा ने कांग्रेस उम्मीदवार को 27 हजार वोटों से हराया। अब ये भी सरकार को समर्थन देने का फैसला लिया है।
केदार चिदाभाई डावर ने भी कांग्रेस से नाखुश होकर अलग चुनाव लड़ा। उन्होंने खारगोन सीट से बीजेपी के जमानसिंह सोलंकी को हराया। अब कांग्रेस (Congress) को समर्थन दे दिया है। कांग्रेस के चौथे बागी नेता और निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले प्रदीप अमृतलाल जायसवाल ने भी मुश्किल की घड़ी में आखिरकार नाराजगी छोड़ पार्टी का साथ दिया। वारासियोनी सीट से उन्होंने जीत दर्ज की और कांग्रेस को समर्थन देने का फैसला किया।
कांग्रेस सरकार से टला खतरा
अगर ये निर्दलीय विधायक कांग्रेस (Congress) के साथ नहीं आते तो सरकार पर खतरा मंडराते रहती। अगर मायावती किसी परिस्थिति में समर्थन वापसी का फैसला लेतीं तो सरकार अल्पमत में आ जाती है। साथ ही निर्दलीय विधायकों के साथ नहीं आने से पहले मायावती के पास ही सत्ता की चाभी रहती। लेकिन इनलोगों के समर्थन दे देने के बाद से ऐसा कुछ नहीं रहा। अगर मायावती साथ नहीं भी देती तो इन चारों निर्दलीय विधायकों के समर्थन से मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन जाती।
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