/2 मिनट में 2 महीने के लिए टली सुनवाई, राम मंदिर पर कानून अब मोदी सरकार के ‘कोर्ट’ में
2 मिनट में 2 महीने के लिए टली सुनवाई, राम मंदिर पर कानून अब मोदी सरकार के 'कोर्ट' में

2 मिनट में 2 महीने के लिए टली सुनवाई, राम मंदिर पर कानून अब मोदी सरकार के ‘कोर्ट’ में

2 मिनट में 2 महीने के लिए टली सुनवाई, राम मंदिर पर कानून अब मोदी सरकार के 'कोर्ट' में

दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में रामलला को तारीख मिली है. राम मंदिर जमीन विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने महज 2 मिनट में अगले साल जनवरी तक के लिए टाल दिया. माना जा रहा है कि अगले साल आम चुनाव से पहले इस मामले पर फैसला आने की संभावना कम है. मोदी सरकार के लिए दुविधा की स्थिति हो गई. सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार और रामलला के वकील ने मामले पर तुरंत सुनवाई की मांग की.

सुप्रीम कोर्ट में रामलला को तारीख

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने सुनवाई बेहद कम वक्त चली. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘हमारी अपनी प्राथमिकताएं हैं. जनवरी के पहले हफ्ते में उचित बेंच इस बारे में फैसला लेगी कि सुनवाई कब होगी’. अयोध्या मामले पर केंद्र सरकार काफी दबाव झेल रही है. वे अध्यादेश या संसद में कानून लाकर मंदिर की राह साफ करने की मांग कर रहे हैं. मगर सुप्रीम कोर्ट में रामलला को तारीख मिल गई. मगर सवाल है कि क्या सरकार कानून लाकर मंदिर बनाने का जोखिम उठाएगी. इस मामले में सरकार को फैसला लेने और न लेने, दोनों ही हालात में जोखिम है. राम मंदिर मुद्दा पार्टी के लिए हमेशा ही बड़ा मुद्दा रहा है. मोदी सरकार की चिंता है कि अगर वो कानून लाकर मंदिर का रास्ता साफ करना चाहेगी तो उसके सहयोगी इसके लिए तैयार नहीं हो सकते हैं.

ये भी पढ़ें: अयोध्या विवाद: 159 सालों का इतिहास जानिए, पहली बार कब हुई पूजा?

क्या अध्यादेश लाना संभव है?

सुप्रीम कोर्ट में रामलला को तारीख मिली मगर कानूनविदों के मुताबिक कोर्ट में पेंडिंग मामले के दौरान कानून लाने पर कोई रोक नहीं है. लेकिन इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने जब विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाए रहने को कहा है को मंदिर बनाने के लिए अध्यादेश या विधेयक के रूप में कानून कैसे लाया जा सकता है. फिर भी अध्यादेश आता है को उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का विकल्प खुला है. कोई भी अध्यादेश या विधेयक कोर्ट की कसौटी पर परखा जा सकता है. इसकी उम्मीद ज्यादा दिख रही है.

मंदिर को लेकर सरकार पर दबाव

सुनवाई टलने के बाद सरकार ने कुछ न बोलना ज्यादा मुनासिब समझा. केंद्रीय कानून मंत्री ने रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ‘हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं. इससे ज्यादा कुछ भी बोलना मेरी सीमाएं हैं’. सुप्रीम कोर्ट में रामलला को तारीख मिलने पर बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि ‘हिन्दुओं का धैर्य जवाब दे रहा है’. राष्ट्रीय स्वयं संघ ने कहा कि ‘कोर्ट को तुरंत फैसला करना चाहिए या सरकार कानून बनाए’.