तेजस्वी का सवर्ण आरक्षण पर ’90’ पॉलिटिक्स, समझिए मैथेमैटिक्स
पटना. लोकसभा चुनाव से पहले सवर्ण वोटों पर नजर रखते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णो को सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण (Reservation) देने को सोमवार को मंजूरी दे दी. जानकारी के अनुसार, मंत्रिमंडल ने ईसाइयों व मुस्लिमों सहित ‘अनारक्षित श्रेणी’ के लोगों को नौकरियों व शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया.
इसका फायदा आठ लाख रुपये वार्षिक आय सीमा व करीब पांच एकड़ भूमि की जोत वाले गरीब सवर्णो को मिलेगा. लोकसभा में मंगलवार को इस उद्देश्य के लिए एक संविधान संशोधन विधेयक पेश होने की संभावना है.
मौजूदा आरक्षण में कोई दिक्कत नहीं
जानकारी के अनुसार, सवर्णों को आरक्षण (Reservation) देने से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के मौजूदा 50 फीसदी आरक्षण में दिक्कत नहीं पैदा होगा. इस कोटा में किसी भी आरक्षण के प्रावधान के तहत नहीं आने वाले वर्गो जैसे ब्राह्मण, बनिया, ठाकुर, जाट, गुज्जर, मुस्लिम व ईसाई शामिल होंगे.
‘सवर्ण’ सियासत
इधर, सवर्णों को आरक्षण दिए जाने पर सियासत भी तेज हो गई है. एक तरफ सत्ता पक्ष मोदी कैबिनेट के इस फैसले का स्वागत कर रहा है. वहीं विपक्ष इसे जुमला बता रहा है. विपक्ष का कहना है कि यह फैसला राजस्थान, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में हार के बाद व लोकसभा चुनाव से पहले आया है. ताकि वोटर्स लुभाया जा सके.
आरक्षण का आधार बताए सरकार
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वहीं, राजद नेता और बिहार विधनसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर सियासी पारा बढ़ा दिया है. तेज्सवी यादव ने लिखा है कि अगर 15 फ़ीसदी आबादी को 10% आरक्षण तो फिर 85 फीसदी आबादी को 90% आरक्षण हर हाल में मिलना चाहिए. आगे उन्होंने पूछा कि 10% आरक्षण किस आयोग और सर्वेक्षण की रिपोर्ट के आधार पर दिया जा रहा है? सरकार विस्तार से बतायें.
अगर 15 फ़ीसदी आबादी को 10% आरक्षण तो फिर 85 फ़ीसदी आबादी को 90% आरक्षण हर हाल में मिलना चाहिए।
10% आरक्षण किस आयोग और सर्वेक्षण की रिपोर्ट के आधार पर दिया जा रहा है? सरकार विस्तार से बतायें।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) January 7, 2019