दिल्ली: गरीबों के लिए न्यूनतम आय गारंटी या यूनिवर्सल बेसिक पे (basic pay for poor) वाली जिस स्कीम पर मोदी सरकार माथापच्ची कर रही थी। उसी स्कीम को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (rahul gandhi) ने बड़ा दांव चल दिया है। हालांकि सवाल ये भी है कि राहुल का ये वादा मास्टरस्ट्रोक है या फिर महज जुमला?
ये जानना बहुत जरूरी है कि न्यूनतम आय गारंटी स्कीम और क्या भारत जैसी बड़ी आबादी वाले देश में ये संभव है? क्योंकि गरीबों की आय सुनिश्चित करने वाली इस योजना को राहुल गांधी ने बहुत कुछ कह डाला है।
न्यूनतम आय गारंटी का गणित
न्यूनतम आय गारंटी स्कीम (basic pay for poor) के तहत हर महीने लाभार्थियों के खाते में एक निश्चित रकम आती है। पहली बार 2016-17 के इकोनॉमिक सर्वे में इसका जिक्र हुआ था। वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के मुताबिक हर शख्स को रोजाना 1.90 डॉलर यानी लगभग 135 रुपए की जरूरत होती है।
वहीं, रंगराजन कमेटी ने देश में रोजाना न्यूनतम आय की सीमा 32 रुपए से 47 रुपए तय की है। यानी हर शख्स को हर महीने करीब 960 रुपए और सालाना 11,520 रुपये चाहिए। देश की 20 फीसदी गरीब आबादी के मद्देनजर इस रकम का भी इंतजाम करना आसान नहीं होगा।
बता दें कि सबसे पहले फिनलैंड सरकार ने इस स्कीम का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था। 2017 में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने भी इस स्कीम (basic pay for poor) को लेकर चर्चा शुरू की थी। अब बजट से ऐन पहले उम्मीद है कि सरकार इस बारे में कुछ गंभीर फैसला करेगी। हालांकि बजटीय प्रावधान के तहत ये फैसला इतना आसान नहीं है।
मिशन 2019 के लिए राहुल का दांव
इधर, राहुल (rahul gandhi) ने संकेत दे दिए हैं कि कांग्रेस इस स्कीम को लोकसभा चुनाव के लिए अपने घोषणा पत्र में शामिल करने जा रही है। मनरेगा के फैसले के बाद यूपीए सरकार की वापसी से प्रेरित राहुल का ये वायदा इसी सोच के साथ लिया गया है। माना जा रहा है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने वाली मनरेगा की तरह ही ये योजना भी बेहतरीन साबित होगी। न्यूनतम आय गारंटी स्कीम से ग्रामीण और शहरी गरीबी को खत्म करने में काफी मदद मिलेगी।
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साल 2008 में मनरेगा लागू करने वाली मनमोहन सरकार का ये फैसला मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ था। 2009 में यूपीए सरकार ने जबरदस्त वापसी की थी। फिलहाल, खेती के संकट से जूझ रहे देश के किसानों के लिए ये स्कीम राम बाण साबित हो सकती है। लेकिन राहुल के इस मास्टरस्ट्रोक पर पानी भी फिर सकता है। केंद्र सरकार के पास भी अभी मौका है कि वो गरीबों के लिए कुछ बड़ी जमीनी घोषणा कर इसकी भरपाई कर सकती है।