दिल्ली। भारी कर्ज में डूबी जेट एयरवेज की आखिरी उड़ान 9W 3502 (Naresh goyal) बुधवार रात 10 बजकर 20 मिनट पर अमृतसर से मुंबई की थी. 2 घंटे के सफर के बाद जेट की कोई भी फ्लाइट हवा में नहीं रही. आखिरी उड़ान के फ्लाइट क्रू के कैप्टन ने कहा कि ‘सूरज फिर निकलेगा.’ हम भी उम्मीद कर रहे हैं कि ‘सूरज’ फिर से निकले और दुनिया पर छा जाए. 25 साल पुरानी एयरलाइन कंपनी पर 8 हजार करोड़ का कर्ज हैं और बैंकों ने 400 करोड़ रुपए का इमर्जेंसी लोन देने से इनकार कर दिया. इसके बाद जेट की मुश्किलें शरू हो गई. जो ‘क्रैश लैंडिंग’ तक पहुंच गई.
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नरेश गोयल बनने की कहानी
पंजाब में संगरूर के रहनेवाले नरेश गोयल (Naresh goyal) का जन्म 29 जुलाई 1949 को हुआ था. संगरूर में ही पिता की ज्वैलरी का कारोबार था. जब वे 11 साल के थे सर से पिता साया उठ गया. बाद में घर भी नीलाम हो गया. मां ने ननिहाल में रहकर उनका लालन-पालन किया. हालत इतनी खास्ता थी कि वो मीलों पैदल स्कूल जाया करते थे. साइकिल खरीदने की भी हैसियत नहीं थी. इन सबके बीच नरेश गोयल ने भटिंडा के भल्ला कॉलेज में पढ़ाई जारी रखी और वहां से बीकॉम की डिग्री लिए.
संगरूर से दिल्ली तक का सफर
जब नरेश गोयल (Naresh goyal) 18 साल हुए तो उन्होंने अपने चचेरे नाना की ट्रेवल एजेंसी में संगरूर और पटियाला में काम करना शुरू कर दिया. फिर उनके नाना ने जब दिल्ली में ट्रेवल एजंसी की कंपनी खोली तो 1967 में उन्हें दिल्ली लेकर चले आए. क्नॉट प्लेस से चलनेवाली की इस एजेंसी से नरेश गोयल को 300 रुपए तनख्वाह मिलता था. 1970 के दशक में नरेश गोयल (Naresh goyal) दिल्ली के बंगाली मार्केट के एक घर के बरसाती में रहते थे. रिफ्यूजी मार्केट के किसी ढाबा में सुबह का नाश्ता कर लिया करते थे और फिर अपने काम में लग जाते थे. मृदुभाषी नरेश गोयल दोस्ती गांठने में माहिर थे, इसका फायदा उन्हें आगे चल कर बहुत मिला.
जब जेट एयरवेज का उड़ता था मजाक
नरेश गोयल (Naresh goyal) धीरे-धीरे बिजनेस की बारीकियां समझ रहे थे. बाद में वो इसमें माहिर हो गए तो उनके चचेरे नाना से एजेंसी चलाने का जिम्मा नरेश को दे दिया. तब नरेश 300 रुपए की नौकरी के साथ 50 हजार रुपए कमीशन कमाने लगे. तब 50 हजार रुपए बहुत बड़ी रकम हुआ करती थी. 1973 में नरेश गोयल ने खुद की ट्रैवल एजेंसी खोली और इसका नाम दिया जेट एयर. जब वो अपने पैसेंजर की टिकट लेने एयरलाइन कंपनियों के ऑफिस में जाते थे तो वहां के स्टाफ मजाक उड़ाते थे कि अपनी ट्रैवल एजेंसी का नाम एयरलाइंस कंपनी जैसा दिया है. तब जवाब में गोयल (Naresh goyal) कहा करते थे कि वो एक दिन खुद की एयरलाइन कंपनी खोलकर दिखा देंगे.
जेआरडी टाटा ने किया था उद्घाटन
गोयल (Naresh goyal) का यह सपना 1991 में पूरा हो गया. उन्होंने एयर टैक्सी के रुप में जेय एयरवेज की शुरुआत कर दी. 1993 में नरेश गोयल ने 2 बोइंग 737 पहली उड़ान भरी. यह देश की पहली प्राइवेट एयरलाइन बनी. इससे भी बड़ी बात ये हुई की जेट एयरवेज का उद्घाटन जेआरडी टाटा ने किया. एक झटके में नरेश गोयल (Naresh goyal) देश ने कारोबारी सर्किल में अपना पहचान बना लिया. बरसाती में रहने वाले और रिफ्यूजी मार्केट में खाने वाले नरेश गोयल बहुत बड़ा नाम बन चुके थे.
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