दिल्ली। 2019 लोकसभा चुनाव के साथ ही अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की तैयारियां भी तेज हो गई है. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए पत्थरों की तराशी का काम भी तेज हो गया है. पहले मंजिल तक के निर्माण के लिए पत्थरों की तराशी का काम पूरा कर लिया गया है. अब दूसरे मंजिल पर लगाए जाने वाले पत्थरों की तराशी का काम चल रहा है. जितने पत्थरों की जरुरत है उसे राजस्थान से ट्रकों में भरकर लाया जा रहा है.
राम मंदिर निर्माण की तैयारियां
पहले मंजिल के लिए पत्थरों की तराशी का काम पूरा चुका है. अब दूसरे मंजिल के लिए पत्थरों की तराशी काम का काम चल रहा है. अब जो भी पत्थर तराशे जा रहे हैं, उनका इस्तेमाल दूसरे मंजिल पर होगा. राम मंदिर के लिए पत्थर इस तरह तराशे जा रहे हैं जैसे पुरातन शैली में बिना सिमेंट के खांचे के माध्यम से जोड़े जाते थे. राम मंदिर निर्माण की तैयारियां जोर-शोर से चल रही है. ऐसे में जब राम मंदिर बनाना होगा तो इसमें सिर्फ पत्थर उठाकर ले जाने में ही मेहनत करनी होगी.
पत्थर तराशने का काम जारी
विश्व हिन्दू परिषद के नेता के मुताबिक अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण हो ये सारा हिन्दू समाज और साधु संतों ने दिल्ली में हुई उच्च अधिकार समिति की बैठक में इसका एलान भी किया गया था. उसके बाद से ही राम मंदिर निर्माण की तैयारियां चल रही है. उन्होंने कहा था कि संसद में कानून लाकर राम मंदिर बनाया जाए हम सभी भी कोशिशें कर रहे हैं. इसके बाद से हम लगातार कानून बनाकर राम मंदिर के निर्माण की मांग कर रहे हैं. वीएचपी नेता ने कहा कि राम मंदिर की निर्माण के लिए पत्थर तराशने का काम लगातार जारी है. जो पत्थर तराशे जा रहे हैं वो दूसरी मंजिल के लिए है.
राम मंदिर के लिए आ रहे पत्थर
इसके अलावा राजस्थान से और पत्थर मंगाए गए हैं. हमारे संगठन के लोग लगातार संपर्क में हैं. समाजवादी सरकार में पत्थर लाने पर रोक लगा दी गई थी. मगर अब राम मंदिर निर्माण की तैयारियां जारी है और पत्थर मंगाने का काम शुरू हो चुका है. पत्थर आने लगे हैं. पिछले कुछ दिनों से बारिश की वजह से पत्थर नहीं आ पा रहे थे. राम मंदिर के लिए 70 हजार घन फुट पत्थर की जरुरत है. वीएचपी के बड़े नेता राजस्थान के खदान मालिकों के संपर्क में हैं. ऐसे में जब भी पत्थर की जरुरत होगी उसे लाया जाएगा. इसके अलावा राम मंदिर निर्माण के लिए जो नियमित प्रक्रिया है वो चलती रहेगी.
अयोध्या विवाद: अब तक
- राम मंदिर निर्माण की तैयारियां काफी दिनों से चल रही थी. मगर 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में कार सेवकों ने बाबरी मस्जिद को गिरा दिया था.
- 7 जनवरी को अध्यादेश लाकर केंद्र सरकार ने 67 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर लिया. इसमें विवादित जमीन का 120 गुणा 80 फीट का हिस्सा भी अधिग्रहित कर लिया गया. जिसे बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि परिसर कहा जाता है.
- 1993 में ही केद्र सरकार के फैसले के खिलाफ इस्माइल फारूकी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए अपनी याचिका में कहा था कि किसी धार्मिक स्थल का सरकार कैसे अधिग्रहण कर सकती है.
- 24 अक्टूबर 1994 को सुप्रीम कोर्ट ने इस्माइल फारूकी की याचिका पर फैसला सुनाया कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है. हालांकि रामजन्मभूमि के बारे में यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए गए.
- बाद में इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई. अयोध्या मामले के एक मूल वादी एम सिद्दीकी ने इस्माइल फारूकी के मामले में 1994 के फैसले के खास निष्कर्षों पर ऐतराज जताया.
- 5 दिसंबर 2017 को अयोध्या मामले की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि नमाज पढ़ने का अधिकार है उसे बहाल करना चाहिए. नमाज अदा करना धार्मिक प्रैक्टिस है उससे वंचित नहीं किया जा सकता.
- 20 जुलाई 2018 को प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली एक पीठ ने इस मामले पर सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
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