/British Lingua वाले बीरबल झा का नाम बिहार के ‘स्पोकेन इंग्लिश घोटाले’ में कैसे आया?
british Lingua birbal jha spoken english bihar sopken english scam

British Lingua वाले बीरबल झा का नाम बिहार के ‘स्पोकेन इंग्लिश घोटाले’ में कैसे आया?

पटना। दिल्ली से लेकर पटना तक बिहारियों को अंग्रेजी बोलना सीखाने वाले British Lingua वाले बीरबल झा आजकल घोटाले की वजह से सुर्खियों में हैं. आरोप साबित हुए तो 10 साल तक की सजा हो सकती है. यहां भी वो अंग्रेजी बोलना सीखाने का काम ही बिहार सरकार से ठेका पर लिए थे. उनके साथ एफआईआर में 4 आईएएस अधिकारियों के नाम भी शामिल है. आरोपों के मुताबिक 7 करोड़ 30 लाख से ज्यादा का फर्जीवाड़ा हुआ है.

British Lingua और बीरबल झा की कहानी

मधुबनी जिले के सिजौल गांव के रहने वाले बीरबल झा कॉलेज की पढ़ाई के लिए पटना पहुंचे. पटना यूनिवर्सिटी से डबल एमए और पीएचडी की. फिर 1993 में British Lingua के जरिए अंग्रेजी बोलना सीखाने का काम शुरू किया जो आजतक जारी है. दिल्ली समेत कई राज्यों में इसके ब्रांच खोले लेकिन दिल्ली और पटना में ही मामला जमा और खूब जमा. बीरबल झा और British Lingua को बहुत मान-सम्मान मिला. बीरबल झा ने 2 दर्जन से पुस्तकों के लेखन और संपादन किया. फिलहाल British Lingua के 2 दर्जन ब्रांच के जरिए अंग्रेजी बोलने की गारंटी दे रहे हैं. मगर फिलहाल बीरबल झा और British Lingua अपने नाम से नहीं बल्कि घोटालों की वजह से सुर्खियों में है.

अंग्रेजी बोलने का क्या था पूरा प्रोजेक्ट?

बिहार में अंग्रेजी बोलना सीखाने का काम एक धंधा है. इसी के नाम पर सरकारी घोटाला हुआ है. स्पोकेन इंग्लिश के नाम पर 7 करोड़ 30 लाख रुपए की गड़बड़ी पाई गई है. इसमें British Lingua वाले बीरबल झा का भी नाम आया है. बिहार सरकार ने महादलित बच्चों को हाई-फाई अंग्रेजी सीखाने की आइडिया पर काम शुरू की. टेंडर वैगरह तमाम प्रक्रिया के बाद बीरबल झा के British Lingua को 13 जिलों में महादलित बच्चों को अंग्रेजी सीखाने का ठेका मिला और उसी में ‘खेल’ हो गया.

Corona Vaccine Update: कोरोना की वैक्सीन से हम कितने दूर और कितने पास?

बिहार में महादलित छात्रों को अंग्रेजी बोलना सीखाने के नाम पर करोड़ों का घोटाला हो गया. 7 करोड़ 30 लाख के चक्कर में British Lingua वाले बीरबल झा के साथ आईएएस अधिकारी एसएम राजू भी लपेटे में हैं. निगरानी ब्यूरो ने 10 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. एफआईआर जिन लोगों के नाम है उनके नाम सुनकर हैरानी होती है. सभी पढ़े-लिखे, योग्य, काबिल, हुनरमंद और अपने क्षेत्र की नामचीन हस्तियां है. कम से कम इनको स्पोकेन इंग्लिश क्लास की जरूरत तो नहीं ही थी. इनको फर्जी और असली का पहचान करने भी आता है.

निगरानी के FIR में बड़े-बड़ों का नाम

निगरानी ब्यूरो ने जो एफआईआर दर्ज की है उसके मुताबिक British Lingua के निदेशक बीरबल झा, तत्कालीन मिशन निदेशक और बिहार महादलित विकास मिशन के कार्यपालक पदाधिकारी एसएम राजू, तत्कालीन मिशन निदेशक राघवेंद्र झा (रिटायर्ड आईएएस), तत्कालीन मिशन निदेशक राजनारायण लाल (रिटायर्ड आईएएस), तत्कालीन मिशन निदेशक और मिशन को-ऑर्डिनेटर-1 रामशीष पासवान (रिटायर्ड आईएएस), तत्कालीन विशेष कार्य पदाधिकारी और मिशन को-ऑर्डिनेटर-1 अनिल कुमार सिन्हा (रिटायर्ड), तत्कालीन मिशन को-ऑर्डिनेटर-2 शशिभूषण सिंह, तत्कालीन सहायक मिशन निदेशक और विशेष कार्य पदाधिकारी हरेंद्र कुमार श्रीवास्तव, तत्कालीन सहायक मिशन निदेशक बिरेंद्र चौधरी, तत्कालीन राज्य परियोजना पदाधिकारी देवजानी कर का नाम शामिल है.

पूरे मामले में 4 आईएएस और बाकी अधिकारी हैं. दरअसल एसएम राजू इसी साल रिटायर हुए हैं. एससी-एसटी कल्याण विभाग में हुए महादलित छात्रवृति घोटाले में भी आईएएस अधिकारी एसएम राजू को मुख्य अभियुक्त बनाया गया है. इसकी भी जांच निगरानी कर रही है. एसएम राजू जब विभागीय सचिव के साथ मिशन के निदेशक के पद पर 31 जुलाई से 9 फरवरी 2016 तक थे, तभी ये गड़बड़ी की गई है.

स्पोकेन के नाम पर कैसे हुआ घोटाला?

बीरबल झा के British Lingua से बिहार सरकार ने 13 जिलों में महादलित बच्चों को स्पोकेशन इंग्लिश का काम दिया. मगर अफसरों की मिलीभगत से 14 हजार 826 छात्रों के गलत नाम-पता और दूसरी जानकारी के आधार पर 7 करोड़ 30 लाख 13 हजार से ज्यादा सरकारी रुपए के गबन का आरोप है. जांच में पाया गया कि जिन छात्रों को अंग्रेजी सीखाने के नाम पर रुपए निकाले गए हैं, उनका नाम पता गलत है और इनमें कई छात्रों का दाखिला दूसरे ट्रेनिंग कोर्स में है.

बड़ी संख्या में छात्र एक ही समय, एक ही स्थान पर, एक से ज्यादा कोर्स को कर रहे थे. जबकि हकीकत में ये संभव नहीं है. अंग्रेजी सीखने के समय में कोई छात्र दूसरा कोर्स कैसे कर सकता है. इसी की जांच चल रही है. जांच में ये बात भी सामने आई है कि बड़ी संख्या में छात्रों के नाम पर सरकारी राशि की निकासी की गई. उनका नाम और पता तक सही नहीं है. इस योजना के चार वर्षों के दौरान नियम और शर्तें बदलती रही. बिना जांच किए British Lingua का पेमेंट भी कर दिया गया.