नए साल में गरमाएगा राम मंदिर का मुद्दा, जनवरी में SC में सुनवाई
साल आए। साल गए। सरकारें आईं और सरकारें चली गईं। लेकिन देश का सबसे बड़ा मुद्दा सालों बाद भी सुलझ नहीं पाया। राम नाम पर सियासी रोटियां खूब सेकी जाती रही हैं। सात दिन बाद 2018 भी अलविदा कह जाएगा। नये साल में राम मंदिर -बाबरी मस्जिद जमीन विवाद (ram mandir issue) पर फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। ऐसे में इसे लेकर सभी की नजर बनी हुई है।
जनवरी में SC में सुनवाई
नए साल में लोकसभा के लिए रण होगा। सभी सियासी दल इसकी तैयारी और रणनीति में जमकर जुटे हैं। वहीं नए साल के पहले महीने यानि जनवरी में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले (ram mandir issue) पर सुप्रीम सुनवाई भी होनी है। मुद्दा गरम है, मुद्दा अहम भी है। लिहाजा एक बार फिर राम नाम पर वोट का बड़ा खेल खेला जाएगा।
राम लला के मंदिर निर्माण का समाधान आज तक नहीं हो पाया है। हालांकि राम मंदिर बनकर रहेगा, ये दावा आज भी बीजेपी सरकार कर रही है। केन्द्र के शीर्ष विधि अधिकारी इस विवाद को सुलझाने के लिए कोर्ट में अपना तर्क भी रखेंगे।
राम नाम पर ‘गरम’ सियासत
रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद (ram mandir issue) शीर्ष अदालत में साल 2010 से चल रहा है। राम मंदिर निर्माण के लिए आजादी के बाद से ही दावा किया जा रहा है। तर्क ये भी दिया जा सकता है कि लंबे समय से चले आ रहे इस विवाद को नहीं सुलझाना सभी पक्षों के लिए सही नहीं है। राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद नहीं सुलझने से दोनों पक्षों के सौहार्द्र को भी ठेस पहुंच चुकी है।
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अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए विश्व हिन्दू परिषद (vhp), आरएएस (rss), समेत कई हिन्दू संगठन पहले से ही आंदोलन करते आ रहे हैं। इस बीच अब शिवसेना भी मंदिर बनाने का राग अलापने लगी है। हालांकि, बीजेपी नेतृत्व राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश या कानून बनाने की वीएचपी-आरएसएस की मांग पर अब तक प्रतिबद्ध नहीं है।
मोदी सरकार का प्रयास
वैसे शीर्ष अदालत में प्रत्याशित रुख 2019 लोकसभा चुनावों से पहले मामले पर फैसले पाने का अंतिम मौका हो सकता है। साथ ही इसकी अगुआई करने वाले हिंदू ‘संत समाज’ की मांगों को पूरा भी कर सकता है। ऐसे में अब राम नाम पर वोट की राजनीति ज्यादा दिन नहीं चल पाएगी। यही वजह है कि केंद्र सरकार राम जन्मभूमि विवाद (ram mandir issue) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पुरजोर तरीके से प्रयास करेगी।
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