रतन टाटा का आम लोगों के लिए वो ख्वाब, जो अधूरा रह गया

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दिल्ली। सभी सुविधाओें से संपन्न किसी शख्स को देख कर एकबारिगी लगता है कि इस आदमी के सभी सपने पूरे हुए होंगे. उसमें भी टाटा, बिरला और अंबानी हों तो शक की कोई गुंजाइश भी नहीं रह जाती है. मगर हमेशा ऐसा नहीं होता है. टाटा ग्रुप के वारिश रतन टाटा (RATAN TATA) इन्हीं में एक हैं, जिनका सपना अधूरा रह गया. ऐसी बात नहीं कि उन्हें रोटी, कपड़ा और मकान का कोई सपना था, जो पूरा नहीं हो सका. उनका सपना हिन्दुस्तान के आम लोगों के लिए था जो पूरा नहीं हो सका.

RATAN TATA का अधूरा सपना

नमक से लेकर हवाई जहाज को उड़ान देने वाली टाटा कंपनी का आपके घर में कोई प्रोडक्ट न हो, ये नामुमकिन सा है. टाटा ग्रुप का इतिहास 150 साल पुराना है. 1868 में जमशेदजी टाटा ने टाटा ग्रुप की शुरुआत मुंबई के एक ट्रेडिंग फर्म से की थी. जो आज दुनिया भर में नाम, दौलत और शोहरत कमा रही है. इसमें टाटा ग्रुप के तीसरी पीढ़ी के रतन टाटा (RATAN TATA) का सबसे अहम योगदान है.

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82 साल के रतन टाटा ने अपने नेतृत्व में ऐसे कई काम किए जो भारत को गौरवान्वित होने का मौका दिया और दे रहा है. मगर रतन टाटा (RATAN TATA) एक सपना अधूरा रह गया. बात उसी अधूरे सपने की होगी.

‘नैनो’ से निराश हुए RATAN TATA

बात आज से 11 साल पहले 2008 की है. तब टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा हुआ करते थे. उन्होंने (RATAN TATA) दिल्ली के कार मेले में टाटा मोटर्स के ‘नैनो’ कार को लॉन्च किया. तब रतन टाटा ने ‘नैनो’ को लॉन्च करते वक्त कहा कि Word is word. यानी नैनो की मैनुफैक्चरिंग कॉस्ट बढ़ने के बावजूद उन्होंने एक लाख रुपए में बाजार में उतारा.

उनका मकसद आम लोगों के सपने को पूरा करना था. इस कार की शुरुआती कीमत एक लाख रुपए ही थी. कार को जोर-शोर से बाजार में उतारा गया. लेकिन उम्मीद के मुताबिक कार की बिक्री नहीं हुई.

2019 में बिकी सिर्फ एक ‘नैनो’

ताजा अपडेट के मुताबिक नैनो का प्रोडक्शन ठप है. कोई खरीदार नहीं मिल रहा है. साल 2019 के पहले 9 महीने यानी सितंबर तक नैनो कार कोई प्रोडक्शन नहीं किया गया. वहीं साल 2019 में अब तक सिर्फ 1 कार की बिक्री हुई है. यह कार फरवरी में बिकी थी. अब कयास लगाए जा रहे हैं कि टाटा मोटर्स कभी भी नैनो कार प्रोडक्शन को बंद करने का ऐलान कर सकती है.

हालांकि आधिकारिक रूप से इस मॉडल को बंद करने के बारे में कोई घोषणा नहीं की गई है. ऐसे में कहा जा सकता है कि रतन टाटा ने जिस सोच के साथ ‘नैनो’ की शुरुआत की थी वो सही साबित नहीं हुई. रतन टाटा (RATAN TATA) अपने जीवन में बहुत सारी कामयाबियां पाईं मगर ‘नैनो’ को कामयाब होते देखने का उनका ख्वाब पूरा नहीं हो सका.

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