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मोदी सरकार की ‘चैन’ चुराने वाली गीता गोपीनाथ की आखिर क्यों हो रही इतनी चर्चा? जानिए

दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ एक बार फिर अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियों में छाई हुई हैं. IMF ने भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़त के अनुमान को घटा दिया है. आईएमएफ ने दावोस में चल रहे विश्व आर्थिक मंच की बैठक के दौरान इस अनुमान को जारी किया. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि भारत सहित कई देशों में छाई सुस्ती का असर दुनिया में देखने को मिला है. उनका कहना है कि 2020 में वैश्विक वृद्धि में तेजी अभी काफी अनिश्चित बनी हुई है.

IMF के जरिए मोदी पर हमला

गोपी गोपनाथ के बयान के बाद मोदी सरकार विपक्षी नेता हमला कर रहे हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल और पी चिदंबरम ने निशाना साधा है. इससे पहले गीता गोपनाथ नोटबंदी का विरोध कर चर्चा में आई थीं. अक्टूबर 2018 में गीता को IMF की मुख्य कार्यकारी नियुक्त किया गया था. इस पद पर पहुंचनेवाली पहली महिला हैं. उन्होंने IMF में मौरिस आब्सटफेल्ड की जगह ली हैं. जो 31 दिसंबर 2018 को रिटायर हुए थे.

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आईएमएफ के प्रमुख क्रिस्टीन लगार्डे ने गीता के बारे में कहा था कि वो दुनिया के बेहतरीन अर्थशास्त्रियों में एक हैं, उनके पास शानदार अकादमिक ज्ञान, बौद्धिक क्षमता और व्यापक अंतर्राष्ट्रीय अनुभव है. गीता से पहले आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन भी IMF में प्रमुख अर्थशास्त्री रह चुके हैं.

केरल में जन्म, दिल्ली में पढ़ाई

गीता का जन्म 1971 में केरल में हुआ था. स्कूली पढ़ाई उन्होंने वहीं से की. फिर कॉलेज की पढ़ाई के लिए दिल्ली आ गईं. लेडी श्रीराम कॉलेज से उन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री लीं. हावर्ड यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल स्टडीज की प्रोफेसर भी रही हैं. केरल की बेटी गीता गोपीनाथ ने दिल्ली के स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन से मास्टर्स किया. गीता को माइक्रो-इकोनॉमिक्स में महारत हासिल है. 2001 में उन्होंने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में पीएचडी की पढ़ाई पूरी कीं. गीता गोपीनाथ के पति का नाम इकबाल सिंह धालीवाल है, जो अर्थशास्त्र में स्नातक हैं और 1995 बैच के आईएएस टॉपर रहे हैं. बाद में वो नौकरी छोड़कर पढ़ाई के लिए प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी चले गए. फिलहाल गीता, उनके पति और बेटा कैम्ब्रिज (ब्रिटेन) में रहते हैं.

2001 में बनीं असिस्टेंट प्रोफेसर

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केरल की बेटी गीता गोपीनाथ साल 2001 में शिकागो यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर का पद संभाला और फिर 2005 में वो हावर्ड यूनिवर्सिटी चली आईं. 5 साल बाद 2010 में गीता यहां फुल टाइम प्रोफेसर बन गईं. वो अमेरिकन इकोनॉमिक रिव्यू की को-ऑर्डिनेटर हैं. इसके अलावा नेशनल ब्यूरो ऑफ इकोनॉमिक्स रिसर्च में इंटरनेशलन फाइनेंस एंड माइक्रो इकोनॉमिक्स प्रोग्राम की भी को-डायरेक्टर हैं. केरल की बेटी गीता गोपीनाथ ने IMF के पूर्व इकोनॉमिक काउंसल केनेथ रोगॉफ के साथ मिलकर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स की हैंडबुक भी लिखी हैं.

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दुनिया पर गीता की नजर

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IMF की जिस डिपार्टमेंट की केरल की बेटी गीता गोपीनाथ डायरेक्टर हैं, उसका रोल संस्था में सबसे अहम होता है. IMF का रिसर्च विभाग दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं का अध्ययन कर के सदस्य देशों के लिए जरूरी नीतियां तैयार करता है. साथ ही साथ उन मुद्दों पर रिसर्च को अंजाम देता है जो IMF के लिए अहम होता है. इसके अलावा दुनिया की अर्थव्यवस्था अगले कुछ वर्षों में कैसी होगी इस बारे में भी अनुमान लगाना या भविष्यवाणी करना भी IMF का ही काम होता है.