दिल्ली। अरविंद केजरीवाल (AAP) तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. दिल्ली में उन्होंने प्रचंड बहुमत के साथ वापसी की है. जीत हमेशा नेता की होती है. जैसा कि अरविंद केजरीवाल की ही जीत है. मगर पर्दे के पीछे जो शख्स काम कर रहा था उसका नाम है प्रशांत किशोर यानी PK.
AAP ने दिया शुक्रिया का मौका?
दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) के चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने दिल्लीवालों को शुक्रिया अदा किया. आम आदमी पार्टी (AAP) की जीत पर प्रशांत किशोर ने ट्वीट किया. उन्होंने कहा कि ‘भारत की आत्मा बचाने की लड़ाई में साथ देने के लिए दिल्लीवालों का शुक्रिया’. अरविंद केजरीवाल ने इस विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर की मदद ली थी. प्रशांत किशोर की कंपनी I-PAC ने केजरीवाल के चुनावी कैंपेन की पूरी भूमिका तैयार की थी.
I-PAC को सौ फीसदी कामयाबी
इंडियन पॉलिटिकल ऐक्शन कमेटी (I-PAC) प्रशांत किशोर की संस्था है, जिसका मुख्यालय हैदराबाद में है. ये संस्था अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों के लिए चुनावी कैंपेन और चुनावी प्रबंधन का काम करती है. I-PAC 2021 पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के साथ भी काम कर रही है.
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साथ ही तमिलनाडु चुनाव के लिए डीएमके लिए भी प्रशांत किशोर कैंपेन स्ट्रैटजी तैयार कर रहे हैं. जबकि कर्नाटक में जेडीएस से बात चल रही है. इससे पहले I-PAC ने 2014 के आम चुनाव में बीजेपी और विधानसभा चुनाव के लिए जेडीयू नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ कर चुकी है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरेंद्र सिंह के लिए भी काम की थी.
किन शर्तों पर काम करते हैं PK?
सत्ता के गलियारे में PK नाम से फेमस प्रशांत किशोर की रणनीति सौ फीसदी सही साबित हुई है. बस उनकी एक ही शर्त रहती है कि जिस पार्टी के लिए काम करते हैं उसके मुखिया को सौ फीसदी उनपर भरोसा करना होता है. इसके बाद वो पूरा चुनावी कैंपेन खुद अपने हाथों में ले लेते हैं. प्रशांत को अपने काम में दखलंदाजी पसंद नहीं है और वो हमेशा पार्टी के मुखिया के साथ रहते हैं. अरविंद केजरीवाल (AAP) से भी उनका रोजाना का मिलना-जुलाना था.
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जिसने भी प्रशांत पर भरोसा किया वो आज अपने सियासी करियर के शीर्ष पर है. प्रशांत किशोर की संस्था I-PAC का दावा है कि उन्होंने 2014 से अब तक अपने हिसाब से काम किया और उसमें कामयाबी भी मिली. शायद यही वजह है कि सत्ता की लड़ाई में आखिरी बाजी प्रशांत किशोर के पास चली आती है.
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