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UN की नौकरी छोड़ने से पॉलिटिक्स के PK बनने तक, क्यों कहा जाता है ‘CM मेकर’?

पटना। चुनावी रणनीतिकार और जनता दल यूनाइटेड (JDU) के नेता प्रशांत किशोर और पवन को वर्मा को आखिरकार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाहर का रास्ता दिखा ही दिया. वैसे इसकी शुरुआत तीन महीने पहले हो गई थी जब दोनों नेताओं ने एनआरसी और सीएए को लेकर सवाल उठाना शुरू किया था.

JDU की कामयाबी से मिली शोहरत

2014 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी और 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार (JDU) को जबर्दस्त कामयाबी मिली. इस जीत के पीछे रणनीतिकार कहे जाने वाले पीके उर्फ प्रशांत किशोर का दिमाग माना जाता है. 2014 में नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली एनडीए ने कांग्रेस को बुरी तरह हराया था जबकि एक साल बाद ही बिहार में नीतीश के नेतृत्व में महागठबंधन ने एनडीए को मात दे दी. इसके पीछे प्रशांत किशोर की रणनीति मानी जाती है.

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कहा जाता है कि 2014 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी, 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में (JDU) नीतीश कुमार, 2017 पंजाब विधानसभा चुनाव में अमरिंदर सिंह और 2019 आंध्र प्रदेश चुनाव में जगन मोहन रेड्डी को जीत दिलाने में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की अहम भूमिका रही है.

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जबकि 2017 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए प्रशांत किशोर कांग्रेस की रणनीति बना रहे थे मगर प्रदेश नेताओं से अनबन की वजह से उन्हें बीच में ही पूरा प्रोजेक्ट छोड़ना पड़ा और यूपी में कांग्रेस बुरी तरह हार गई.

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रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल प्रशांत किशोर 2020 दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल और 2021 पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी के लिए काम कर रहे हैं.

प्रशांत किशोर की निजी जिंदगी

राजनीति की रणनीति बनाने वाले इस माहिर खिलाड़ी जन्म 1977 में हुआ था. प्रशांत किशोर का पैतृक गांव कोनार बिहार के बक्सर जिले में है. वो अफ्रीका से संयुक्त राष्ट्र (UN) की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए थे. प्रशांत किशोर की पारिवारिक पृष्ठभूमि की बात करें तो उनके पिता बिहार सरकार में डॉक्टर थे और मां हाउस वाइफ. प्रशांत की पत्नी जाह्नवी दास असम के गुवाहाटी में डॉक्टर हैं. प्रशांत और जाह्नवी का एक बेटा है. ज्यादातर समय प्रशांत किशोर दिल्ली में रहते हैं.

चुनावी रणनीति के माहिर खिलाड़ी

मोदी के शो चाय पे चर्चा, 3डी रैली, रन फॉर यूनिटी, मंथन के पीछे भी प्रशांत किशोर ही थे. वो इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (I-pac) नाम की संस्था चलाते हैं जो लीडरशिप, सियासी रणनीति, मैसेज कैंपेन और भाषणों की ब्रांडिंग करता है.

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साल 2011 में वो गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम से जुड़े. उन्हें मोदी के प्रचार की कमान दी गई थी. 2014 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को जबर्दस्त कामयाबी मिली वो प्रधानमंत्री बन गए.

2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद प्रशांत किशोर 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के लिए (JDU) नीतीश कुमार-लालू यादव के महागठबंधन से जुड़ गए. 2015 विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को जीत मिली और नीतीश कुमार सीएम बन गए.

फिर 2017 में आंध्र प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव के लिए वाईएसआर कांग्रेस के जगन मोहन रेड्डी के साथ जुड़े, 2019 विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद जगनमोहन रेड्डी सीएम बन गए. चुनाव प्रचार के दौरान आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने प्रशांत किशोर को बिहारी लुटेरा भी कहा था.

2015 बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान नीतीश कुमार (JDU) के प्रचार अभियान में ‘बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है’ नारा पीके ने ही दिया था. यह नारा काफी चर्चा में रहा. इसके अलावा ‘हर घर दस्तक’ नारा भी प्रशांत ने ही दिया था. इसके अलावा भी चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी के डीएनए वाले बयान को लेकर प्रशांत ने रणनीति बनाई जो काफी कामयाब रहा था.

नीतीश और प्रशांत का विवाद

प्रशांत किशोर की राजनीतिक सूझबूझ और रणनीति की चारों तरफ चर्चा रही है. उन्हें ‘सीएम मेकर’ तक का खिताब मिल चुका है. आज भले ही नीतीश कुमार (JDU) अपनी पार्टी से उन्हें निकाल दिए हों, मगर साल 2015 विधानसभा चुनाव के दौरान वो प्रशांत किशोर को अपने आवास में अपने साथ रखते थे. बाद में सरकार बनने पर उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया, अपनी पार्टी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया और जनता दल यूनाइटेड का भविष्य भी बताया था.

नीतीश कुमार (JDU) ने हाल ही में कहा था कि ‘प्रशांत किशोर को अमित शाह के कहने पर ही पार्टी में शामिल किया था’. नीतीश कुमार (JDU) के इस बयान पर प्रशांत किशोर ने पलटवार किया था. उन्होंने कहा कि ‘पार्टी में मुझे लेने को लेकर नीतीश कुमार ऐसे झूठ कैसे बोल सकते हैं. आपने एक नाकाम कोशिश की है, मेरा रंग आपके जैसा नहीं है’.

बिहार में सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड (JDU) की मंगलवार को हुई बैठक में रणनीतिकार और पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रशांत किशोर नहीं दिखे थे. ऐसे में ये बात उठने लगी थी कि प्रशांत JDU के साथ हैं या नहीं. इस मामले पर JDU के अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (JDU) ने कहा था कि ‘बीजेपी नेता अमित शाह के कहने पर प्रशांत किशोर को पार्टी में लिया था और अब जिसे जहां जाना है, जा सकता है’.