दिल्ली। एशिया के सबसे अमीर शख्स की महात्वाकांक्षा अब ई-कॉमर्स कंपनियों को पछाड़ने की है. मोबाइल की तरह ई-कॉमर्स में अपना डंका बजवाना चाहते हैं मुकेश अंबानी. एमेजॉन डॉट कॉम इंक और वॉलमार्ट इंक को भारत में टक्कर देने की रणनीति है. इंडियन मिडिल क्लास लोगों की खरीद क्षमता के साथ ही ई-कॉमर्स की मांग दिनोंदिन बढ़ रही है. कम मार्जिन और ई-कॉमर्स में बड़ी नकदी संकट से जूझ रही पेटीएम मॉल (paytm) ने जब छोटे विक्रेताओं के लिए ऑनलाइन से ऑफलाइन (ओ-टू-ओ) मंच बनने के लिए अपनी रणनीति बदलना शुरू कर दिया तो इस क्षेत्र में रिलायंस के उतरने का ऐलान, वास्तव में पेटीएम और उसके मालिकों के लिए चिंता सबब बन गई.
बाजार से प्रतिस्पर्धा खत्म हो जाएगी?
दरअसल टेलीकॉम में मुकेश अंबानी के रुख को देखकर अन्य कंपनियों को लगने लगा है कि दूरसंचार की तरह ही वो अन्य क्षेत्रों में भी भारी उलटफेर कर (paytm) सकती है. विशेषज्ञों का तो यहां तक कहना है कि ”पैसों के बल पर प्रतिस्पर्धा को ही खत्म कर देना चाहते हैं”. नवंबर 2018 में मेक इन ओडिशा प्रोग्राम में रिलायंस इंडस्ट्रीज अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने कहा था कि ”रिलायंस दुनिया का सबसे बड़ा ऑनलाइन-टू-ऑफलाइन न्यू कॉमर्स प्लेटफॉर्म बनाने पर विचार कर रही है. रिलायंस रिटेल के पूरे भारत में 10 हजार आउटलेट है, जिसका लाभ रिलायंस को अवश्य मिलेगा.”
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रिटेल में टॉप स्थान हासिल करना लक्ष्य
फोरेस्टर रिसर्च की माने (paytm) तो ”रिलायंस के पास पूंजी, असीमित क्षमता, व्यापक रिटेल आउटलेट और संसाधन है, जिससे वो कम्पीटिशन को ही समाप्त कर सकती है. मुकेश अंबानी का मकसद देश में रिटेल बाजार पर शीर्ष स्थान हासिल करना है और वो ये काम उसी तरह आसानी से कर सकते हैं, जिस तरह उन्होंने रिलायंस जियो के लिए किया. एक बात जो हमेशा रिलायंस के पक्ष में रही है, वो उसकी छूट की रणनीति है और ये उनके ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के मामले में भी अहम साबित होगा”.
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paytm का बिजनेस मॉडल ठीक नहीं?
बाजार के जानकारों का मानना है कि ”पेटीएम (paytm) गलत मॉडल के कारण लड़खड़ा गई. आगे उसके लिए काफी मुश्किल दौर है, क्यों कि चीन की तरह भारत को ऑनलाइन-टू-ऑफलाइन बाजार का तजुर्बा नहीं हुआ है”. जानकारों की मानें तो ”इस बात में कोई हैरानी नहीं होगी कि भारत में ई-कॉमर्स बाजार अवसर बनाए रखने के लिए रिलायंस या अलीबाबा का लक्ष्य पेटीएम का अधिग्रहण करना होगा”.
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भारत का डिजिटल भुगतान क्षेत्र 2020 तक 500 अरब डॉलर का हो जाएगा. पेटीएम (paytm) के संस्थापक और सीईओ विजय शेखर शर्मा ने ऐसा नहीं सोचा, जिसका नतीजा सामने है. अब रिलायंस, एमेजॉन और वॉलमार्ट-फ्लिपकार्ट को पीछे छोड़ शीर्ष स्थान पर जाने की जुगत में है. उसके मुकाबले में पेटीएम मॉल एक छोटा-सा प्रतियोगी है.
साम्राज्य पर अमिट छाप छोड़ने की तैयारी
मुकेश अंबानी ने 2016 में दूरसंचार कारोबार शुरू किया. देशभर में ग्राहकों को पहले मुफ्त में और फिर सस्ते डेटा के प्रति लुभाने के लिए 4जी वायरलेस नेटवर्क में 2.5 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया. अंबानी अब इस कारोबार का इस्तेमाल एक ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म का निर्माण करने के लिए कर (paytm) रहे हैं. अंबानी को उम्मीद है कि 2028 तक उनके कंज्यूमर डिविजंस की आमदनी ऊर्जा से जुड़ी कंपनियों को पछाड़ देगी. वैसे ई-कॉमर्स पर बढ़ता जोर दिखाता है कि मुकेश अंबानी अपने उस साम्राज्य पर अपनी अमिट छाप छोड़ने का प्रयास कर रहे हैं, जो उन्हें विरासत में मिली है.
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