दिल्ली। इस बार नागपंचमी पर बेहद शुभ संयोग बन रहा है। ऐसे में इस दिन का एक अलग महत्व भी होता है। माना जाता है कि अगर विधि पूर्वक इस दिन नागदेवता की अराधना करें तो उनकी विशेष कृपा भक्तों पर होती है। इसलिए नाग के 12 स्वरूपों की पूजा एक खास विधि के अनुसार करेंगे तो भगवान भोलेनाथ खुश होंगे और हर मनोकामना पूरी करेंगे।
नाग के 12 स्वरूपों की पूजा
नागपंचमी के दिन नागराज और उनके 12 स्वरूपों की पूजा की जाती है। जिसमें अनंता, वासुकी, शेष, कालिया, तक्षक, पिंगल, धृतराष्ट्र, कर्कोटक, पद्मनाभ, कंबाल, अश्वतार और शंखपाल। इस दिन कालसर्प दोष का विशेष पूजन भी होता है।
38 साल बाद बना संयोग
सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी मनाई जाती है। इस बार 15 अगस्त 2018 (आज) को है और आजादी के बाद दूसरी बार 15 को यानी आज नागपंचमी है। 38 साल पहले 15 अगस्त 1980 को नागपंचमी आई थी। 15 अगस्त 2018 को नागपंचमी बुधवार के दिन है। पूजा का मुहूर्त सुबह 05:54 से 8:30 तक है। तड़के 03:27 पंचमी शुरू होगी, जो रात 01:51 पर समाप्त होगी।
ये भी पढ़ें: भारत के इन नाग मंदिरों में महज दर्शन से दूर हो जाता है कालसर्प दोष
नागपंचमी पर ऊँ नम: शिवाय और महामृत्युंजय मंत्रों का जाप सुबह-शाम करना चाहिए। इस दिन महिलाएं दीवारों पर नाग का चित्र बनाकर दूध से स्नान कराके विभिन्न मंत्रों से पूजा अर्चना करती हैं। इससे पहले शिव जी की पूजा होती है।
लावा और दूध का इस्तेमाल
कालसर्प दोष से पीड़ित लोग इस दिन विशेष पूजन कर इसकी शांति कराते हैं। इस दिन दुग्ध से रुद्राभिषेक कराने से प्रत्येक मनोकामना की पूर्ति होती है। प्रसाद में लावा और दूध बांटते हैं। जिनकी कुंडली राहु से पीड़ित हो, वे इस दिन रुद्राभिषेक अवश्य करें।
इस बार नागपंचमी पर बेहद शुभ संयोग बन रहा है। ऐसे में इस दिन का एक अलग महत्व भी होता है। माना जाता है कि अगर विधि पूर्वक इस दिन नागदेवता की अराधना करें तो उनकी विशेष कृपा भक्तों पर होती है। इसलिए नाग के 12 स्वरूपों की पूजा एक खास विधि के अनुसार करेंगे तो भगवान भोलेनाथ खुश होंगे और हर मनोकामना पूरी करेंगे।