पटना। बिहार की सियासत में खलबली मचानेवाली मनीषा दयाल अभी जो हैं उसकी शुरुआत 2 साल पहले 2016 में हुई थी. एनजीओ के जरिए मिली जान-पहचान को आगे बढ़ाना शुरू किया. 2016 में ही अनुमाया ह्यूमन रिसोर्स फाउंडेशन की स्थापना की. इसके बाद 2017 में पटना में एक कॉरपोरेट क्रिकेट लीग का आयोजन कराया. इसी के साथ शुरू हुआ मनीषा का सियासी कनेक्शन!
मनीषा का सियासी कनेक्शन!
सीसीएल को बिहार का अब तक का सबसे बड़ा इवेंट कहा गया था. सीसीएल की कामयाबी के बाद मनीषा दयाल ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. इसके बाद फुटबॉल के लिए सॉकर प्रीमियर लीग का आयोजन हुआ. इसके बाद मनीषा की नेताओं से नजदीकियां बढ़ी, साथ ही तस्वीरों की बाढ़ आ गई. मनीषा पटना की पेज थ्री सोसाइटी में सेलिब्रेटी बन गई. बिहार के ब्यूरोक्रेट्स की पत्नियां मनीषा दयाल की मेहमान होने लगी. उनकी पत्नियों की पार्टियों में शामिल होने लगी.
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गिरफ्तारी के बाद कई अधिकारियों और नेताओं के साथ मनीषा की तस्वीरें वायरल होने लगी. नेताओं को सफाई पर सफाई देनी पड़ी. मनीषा के राजनीतिक कनेक्शन के बारे में भी काफी कुछ कहा जाने लगा. दरअसल मनीषा दयाल राष्ट्रीय जनता दल के कद्दावर नेता और विधायक अब्दुल बारी सिद्दीकी की पत्नी नूतन सिन्हा की मौसेरी बहन है. यानी नूतन की मां और मनीषा की मां आपस में बहन हैं.
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हालांकि बिहार के पूर्व मंत्री और राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने मनीषा के साथ किसी भी तरह के नजदीकी संबंध से इनकार किया है. मीडिया से बातचीत में अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि विवाह के बाद से ही उनकी ससुराल पक्ष से नजदीकी नहीं है. आसरा होम की घटना शर्मनाक है और उसकी संचालिका पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.
कौन हैं अब्दुल बारी सिद्दीकी
बिहार के पूर्व वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी दरभंगा के अलीनगर से आरजेडी के विधायक हैं. 12वीं पास सिद्दीकी अलीनगर के रुपसपुर के रहनेवाले भी हैं. 1977 में पहली बार बहेड़ा से विधायक बने थे. 1992 में एमएलसी भी चुने गए. फिर 1995 में एमएलए बने. इसके बाद 2000, 2005, 2010 और 2015 में लगातार 5 बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. बिहार में वर्षों तक मंत्री भी रहे. एक समय में इन्हें उपमुख्यमंत्री बनाने की भी बात चली थी. मधुबनी लोकसभा सीट से आरजेडी के टिकट पर चुनाव भी लड़ चुके हैं.
मनीषा दयाल कौन हैं?
बिहार के सियासी गलियारों से लेकर पटना के बड़े बिजनेसमैन के बीच मनीषा की पहुंच मजबूत थी. मनीषा दयाल पटना में कई एनजीओ चलाती थी. इनकी फंक्शन में सियासती, ब्यूरोक्रेट्स और मीडिया का जमावड़ा लगा रहता था. अखबारों में इनके कार्यक्रम से जुड़ी खबरें भरी रहती थी. मनीषा ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि ”मौके मिलते न्हीं, बनाए जाते हैं. कामयाबी हम तक नहीं आती, हमें कामयाबी तक जाना होता है”.
गया की रहनेवाली मनीषा दयाल ने गया शहर से ही इंटरमीडिएट की पढ़ाई की. वहां उनके पिता का पेट्रोल पंप भी है. मेडिकल की तैयारी के सिलसिले में 1995 में मनीषा राजधानी पटना आ गईं. क्योंकि यहां पर कोचिंग की बेहतर सुविधा थी.
मनीषा उन दिनों डॉक्टर बनने की सपने देखती थी. मेडिकल में एडमिशन भी ले लिया. मगर तभी मनीषा को फैशन का चस्का लग गया. फिर मॉडलिंग में किस्मत आजमाने मुंबई चली गई, मगर कामयाबी नहीं मिली. फिर साल 1996 में मनीषा दयाल की शादी जाने-माने बिजनेसमैन जीवन वर्मा से हो गई.
इसके बाद मनीषा ने 1996 में बीकॉम में एडमिशन ले लिया. इसके बाद भी पढ़ाई जारी रही. बाद में एमबीए फाइनेंस तक की डिग्री ली. मनीषा के पति जीवन ने 1997 में एक गारमेंट फैक्ट्री शुरू की. कंपनी में मनीषा फाइनेंस और मार्केटिंग का काम देखने लगी. फैक्ट्री में बने कपड़े बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल भेजे जाते थे. मनीषा के 2 बच्चे भी हैं.
2009 में मनीषा दयाल दिल्ली स्थित स्पर्श फाउंडेशन से जुड़ गई. जो नशा मुक्ति की दिशा में काम कर रही थी. बाद में मनीषा ने रेडक्रॉस और यूनिसेफ के लिए भी काम किया. 2016 में मनीषा दयाल महिला सशक्तिकरण, वृद्ध आश्रम, बच्चों की शिक्षा, झुग्गी-झोपड़ी में रहनेवाली महिला-बच्चों की मुफ्त में चिकित्सा समेत कई सामाजिक काम करनेवाली अनुमाया ह्यूमन रिसोर्स फाउंडेशन से जुड़ गईं. सचिव के तौर पर मनीषा ने काम शुरू किया. इसके बाद मनीषा दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की की.