मोदी-शाह के ‘मास्टर स्ट्रोक’ के आगे धरा रह गया कांग्रेस का ‘गुणा-गणित’, नीतीश कुमार भी ‘बम-बम’

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मोदी-शाह के 'मास्टर स्ट्रोक' के आगे धरा रह गया कांग्रेस का 'गुणा-गणित', नीतीश कुमार भी 'बम-बम'

मोदी-शाह के 'मास्टर स्ट्रोक' के आगे धरा रह गया कांग्रेस का 'गुणा-गणित', नीतीश कुमार भी 'बम-बम'

दिल्ली। राज्यसभा के उपसभापति पद के चुनाव में एनडीए के हरिवंश जीत गए। उनके सामने कांग्रेस के बीके हरिप्रसाद मैदान में थे लेकिन उनकी हार हुई। लेकिन मोदी-शाह की जोड़ी ने अपने मास्टर स्ट्रोक से कांग्रेस का पूरा गेम खराब कर दिया। इसके साथ ही नाराज सहयोगी नीतीश कुमार को भी खुश कर लिया। हरिवंश जेडीयू के ही राज्यसभा सांसद है। एनडीए की ओर से उन्हें उपसभापति का उम्मीदवार बनाया गया था।

ऐसे खराब हुआ कांग्रेस का गेम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह सहित जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने एनडीए के सहयोगी दलों को साधकर साथ में रखने के साथ-साथ विपक्ष के कई दलों का समर्थन हासिल किया। हरिवंश को एनडीए से बाहर के दलों ने भी अपना समर्थन देने की घोषणा की। गौरतलब है कि एनडीए राज्यसभा में जादुई आंकड़े से कम थी। इस चुनाव में बीजेडी के 9 सांसद किंग मेकर की भूमिका में थे। राज्यसभा के उपसभापति के चुनाव की घोषणा के बाद पीएम मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नवीन पटनायक से फोन पर बात कर एनडीए के उम्मीदवार हरिवंश के लिए समर्थन मांगा था।

वहीं, पीएम मोदी और नीतीश कुमार ने नवीन पटनायक से फोन पर बात करके समर्थन के लिए बात की तब तक विपक्ष अपना उम्मीदवार तय ही नहीं कर पाया है। इसका नतीजा हुआ कि एनडीए विपक्ष में सेंध लगाने में कामयाब हो गया।

नीतीश कुमार साधने में कामयाब

वहीं, नीतीश कुमार ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी समर्थन मांगा था। लेकिन उन्होंने बीजेपी के साथ होने की वजह से समर्थन नहीं दिया। वहीं, केजरीवाल के सांसदों ने कांग्रेस के पक्ष में भी वोट नहीं किया। क्योंकि आप इसलिए नाराज थी कि राहुल गांधी ने समर्थन के लिए केजरीवाल को फोन नहीं किया था।

अपनी सियासी रणनीति से मोदी-शाह की जोड़ी ने कांग्रेस को तो मात दिया ही। साथ ही हरिवंश को उपसभापति बनवाकर 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने नीतीश कुमार के साथ अपने रिश्ते की मजबूती दी है। बीजेपी के इस कदम से यह साबित होता है कि जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार एनडीए की अहम कड़ी हैं।

2019 चुनाव में पटखनी की तैयारी

वहीं, एक तरफ जहां 2019 को लेकर विपक्ष महागठबंधन बनाने की तैयारी में है। ऐसे में एनडीए के पास सबसे बड़ी चुनौती अपने घटक दलों को साथ रखना है। बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। ऐसे में नीतीश की नाराजगी का खतरा बीजेपी बिल्कुल भी मोल नहीं लेना चाहेगी।

ये चुनाव इसलिए भी अहम है पिछले दिनों जेडीयू और बीजेपी में सीटों को लेकर खींचतान चल रही थी। अमित शाह से नीतीश की मुलाकात के बाद इस पर विराम लग गया था। बाद में नीतीश ने जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में कहा था कि हम एनडीए में ही रहेंगे।

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