जब टैक्स ने आपकी कमाई को बनाया ‘आया राम-गया राम’

0
187

मैं और मेरी कमाई,

अक्सर ये बातें करते हैं,

टैक्स न लगता तो कैसा होता.?

तुम न यहाँ से कटती,

न तुम वहाँ से कटती,

ना मैं उस बात पे हैरान होता,

सरकार उस बात पे तिलमिलाती,

टैक्स न लगता तो ऐसा होता,

टैक्स न लगता तो वैसा होता..


मैं और मेरी कमाई
“ऑफ़ शोर” ये बातें करते हैं….

ये टैक्स है या मेरी तिज़ोरी खुली हुई है ?

या आईटी की नज़रों से मेरी जेब ढीली हुई है,

ये टैक्स है या सरकारी रेन्सम,

कमाई का धोखा है या मेरे पैसों की खुशबू,

ये इनकम की है सरसराहट
कि टैक्स चुपके से यूँ कटा,

ये देखता हूँ मैं कब से गुमसुम,

जब कि मुझको भी ये खबर है,

तुम कटते हो, ज़रूर कटते हो,

मगर ये लालच है कि कह रहा है,

कि तुम नहीं कटोगे, कभी नहीं कटोगे,..

मज़बूर ये हालात इधर भी हैं, उधर भी,

टैक्स बचाई ,कमाई इधर भी है, उधर भी,

दिखाने को बहुत कुछ है मगर क्यों दिखाएँ हम,

कब तक यूँही टैक्स कटवाएं और सहें हम,

दिल कहता है आईटी की हर रस्म उठा दें,

सरकार जो है उसे आज गिरा दें,

क्यों टैक्स में सुलगते रहें, आईटी को बता दें,

हाँ, हम टैक्स पेयर हैं,
टैक्स पेयर हैं,
टैक्स पेयर हैं,

अब यही बात पेपर में इधर भी है, उधर भी…

ये कहां आ गए हम…..
यूँ ही टैक्स भरते भरते …

(साभार)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.