दिल्ली। तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर ने अचानक से विधानसभा भंग कर सबको चौंका दिया है। इसके साथ ही ये रास्ता साफ हो गया है कि तेलंगाना में लोकसभा चुनाव से पहले ही विधानसभा चुनाव होगा। अगर केसीआर ऐसा नहीं करते तो तेलंगाना में लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव होते।
सर्वे की वजह से सदन भंग?
कहा जा रहा है कि केसीआर नहीं चाहते कि प्रदेश का जनादेश पीएम नरेंद्र मोदी की छाया तले दब जाए जो अपने हाई-वोल्टेज चुनाव प्रचार के लिए जाने जाते हैं।टीआरएस के केशव राव कहते हैं, अगर विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ होते हैं तो मोदी जी बड़े स्तर पर चुनाव प्रचार करेंगे। हमारी सरकार ने यहां बेहतरीन काम किया है और हम इसे दिखाना चाहते हैं। हम जमीनी स्तर पर लोकप्रिय हैं। हमें फिर वोट मिलेंगे और हमारा फैसला सर्वे पर आधारित है।
केसीआर का चकमा है?
हालांकि बीजेपी को पीएम मोदी के प्रचार से टीआरएस का डरना हास्यास्पद लग रहा है। मीडिया से बात करते हुए पार्टी नेता पी मुरलीधर राव ने कहा कि मोदी जी सिर्फ लोकसभा चुनावों में प्रचार नहीं करते बल्कि विधानसभा के लिए भी करते हैं। हाल ही में कर्नाटक में हमने उनका प्रचार देखा था। क्या केसीआर अपने विरोधियों को चकमा देने के लिए पहले चुनाव चाहते हैं?
समय पूर्व चुनाव में वापसी मुश्किल!
टीआरएस नेता केशव राव इससे इनकार करते हैं। वह कहते हैं कि अगर हम राज्य में होने वाले चुनाव की तैयारी कर रहे हैं तो महज कुछ महीने पहले चुनाव कराना कैसे मायने रखता है। हम चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार हैं। तेलंगाना में कांग्रेस इनचार्ज आरसी खुंटिया कहते हैं कि हालांकि राजनीतिक आकलन करे तो समय से पूर्व चुनाव में कोई पार्टी वापस सत्ता में नहीं आती है।
गजवेल से मैदान में केसीआर
केसीआर खुद गजवेल सीट से चुनाव लड़ेंगे. उनके बेटे और कैबिनेट मंत्री केटी रामा राव सिरकिला और भतीजे टी हरीश राव सिद्दीपत से चुनाव लड़ेंगे. केसीआर ने अपनी बेटी और निजामाबाद की सांसद कविता क्लवाकुंतला का नाम उम्मीदवारों में घोषित नहीं किया है. इससे साफ है कि वो संसदीय चुनाव लड़ेंगी.